आजमगढ़: उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ की एक घटना जिसमें सूअर के मीट की दुकान चलाने वाले दुकानदार के साथ मारपीट और दबंगो द्वारा उसका दुकान जलाए जाने की खबर सोशल मीडिया पर काफी जोर शोर से चलाई जा रही है। इसे मुख्यतः भीम आर्मी के नेताओ व मुख्य धारा की मीडिया काफी हवा दे रही है। जिसके बाद हमारी टीम ने मामले पर पूरी जानकारी जुटाने के लिए सभी पक्षों से बात कर रिपोर्ट तैयार करी है।
दरअसल मामला आजमगढ़ जिले के अतरौलिया थाना क्षेत्र के संतालपुर गांव का है जहां का एक दलित युवक शंभूनाथ गांव से आधे किलोमीटर दूर ईट भट्टी के पास मडई लगाकर सूअर के मीट की दुकान चलाता है। शंभू नाथ ने अपनी तहरीर में बताया था कि 14 दिसंबर दिन सोमवार की शाम बगल के गांव सेल्हर पट्टी निवासी मोनू यादव और उसके साथी आए और उधार मीट मांगने लगे।जब उसने उधार देने से मना किया तो इसे देख लेने और ढाबा जलाने की धमकी देते हुए चले गए फिर कुछ देर बाद आए और ढाबे को आग के हवाले कर दिया और 60 हजार के लगभग का सामान जलाकर राख कर दिया।
पुलिस पूछताछ में बयान से पलटा शंभू नाथ
पुलिस ने जब शंभू नाथ से पूछताछ की तो उसने कहा कि मैंने मोनू यादव को नहीं देखा था व गलती से उसका नाम ले लिया। पता करने पर मालूम हुआ कि दोनों की आपसी रंजिश चल रही है। जिसके कारण उसने मोनू यादव का नाम ले उसके खिलाफ तहरीर दी थी।
मोनू यादव का हाथ टूटा हुआ है जिससे वह बहुत दिन से कहीं नहीं आ – जा रहा
जब संभूनाथ ने इसकी शिकायत थाना अतरौलिया में की तो पुलिस ने मोनू यादव को भी पूछताछ के लिए बुलाया और देखा कि वास्तव में उसका हाथ फ्रैक्चर है। मोनू ने बताया कि हाथ में फ्रैक्चर होने की वजह से वह बहुत दिन से कहीं आ जा नहीं रहा है। घटना के दिन वह वहां पर उपस्थित नहीं था। पुलिस ने अपनी पूछताछ में भी इस बात की पुष्टि करी।
थानाध्यक्ष ने हमें बातचीत में बताया कि मोनू यादव का हाथ फ्रैक्चर है जिस कारण वह कहीं भी आ जा नहीं रहा है। वह उस दिन मीट की दुकान पर भी नहीं आया था। दरअसल वह सूअर का मीट ही नहीं खाता है। मामले में दोनों पक्षों ने सुलह कर ली है। यह वो नहीं है जो मीडिया दिखा रही है।
शंभू नाथ के आरोप को खोखला पाने के चलते अतरौलिया थाने के थाना प्रभारी दिनेश यादव ने दोनों के मध्य समझौता करा दिया है। जिसके बाद शंभु नाथ ने अपने आरोपों को वापस ले लिया है।
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