भरतपुर– राजस्थान के भरतपुर जिले में लगातार हो रहें अवैध खनन को रोकने के लिए साधु संत पिछले डेढ़ साल से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, इसी दौरान बीते दिन 20 जुलाई को एक संत विजयदास ने आत्मदाह की कोशिश करते हुए खुद को आग के हवाले कर दिया था।
जहां शुक्रवार की रात दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल में उनका निधन हो गया हैं। वहीं पोस्टमार्टम के बाद शव को परिजनों को सौंपा जाएगा, जिसके बाद बरसाने में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.
जानिए क्या है पूरा मामला?
राजस्थान के भरतपुर जिले के डीग क्षेत्र में स्थित आदिबद्री धाम और कनकाचंल पर्वतीय क्षेत्र में लगातार अवैध खनन किया जा रहा है, जिसके विरोध में साधु संतो द्वारा पसोपा में पिछले डेढ़ साल से विरोध प्रदर्शन किया जा रहा हैं।
लेकिन बीते दिन 20 जुलाई को बड़ी संख्या में साधु संत विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए थे, इसी दौरान प्रशासन की कार्रवाई से आहत होकर संत विजयदास ने आदोंलन स्थल पर आत्मदाह करने के लिए खुद को आग के हवाले कर दिया। जिसमें वह 80 फीसदी झुलस गए थे।
इतना ही नहीं घटना का एक वीडियो भी जमकर वायरल हुआ था, जिसमें संत विजयदास ने राधे राधे कहते हुए खुद को आग के हवाले कर दिया था।
वहीं आत्मदाह करने वाले संत विजयदास हरियाणा के फरीदाबाद जिले के निवासी बताये जा रहे हैं। उनका पूरा नाम मधुसूदन शर्मा था, जो कि संत बनने के बाद विजयदास हो गया था।
मुख्यमंत्री ने दिए निर्देश
वहीं घटना की जानकारी लगते ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा आनन फानन में खनन और अन्य विभागों की आपातकालीन बैठक बुलाई और निर्देश दिए कि 15 दिन के भीतर आदिबद्री धाम और कनकाचंल पर्वत क्षेत्र का सीमांकन कर वन क्षेत्र घोषित किया जाये।
इतना ही नहीं आदिबद्री धाम और कनकाचंल पर्वतीय क्षेत्र में संचालित खदानों को स्थानांतरित करने की योजना भी बनाई जायेगी और पूरे क्षेत्र को धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा।
संतों ने लगाया वादाखिलाफी का आरोप
वहीं विरोध कर रहे संतो ने सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया है, उनका कहना है कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से कार्रवाई का आश्वासन मिलने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं की गई, इतना ही नहीं सैकड़ों विधायक और मंत्रियों को 350 से भी ज्यादा ज्ञापन देने के बाद ध्यान नहीं दिया गया।
Kapil reports for Neo Politico Hindi.