जिंदा होने के सबूत देने में जुटे बुजुर्ग की मौत: सरकारी दस्तावेज़ों में मृत घोषित, 18 महीने से राशन से वंचित

सोनभद्र: शक्तिनगर थाना क्षेत्र के चिल्काडाड गांव में एक मार्मिक घटना सामने आई है, जिसमें 70 वर्षीय कांता पांडेय को सरकारी दस्तावेज़ों में मृत घोषित कर दिया गया था। इसके कारण न केवल उनकी वृद्धा पेंशन रुक गई, बल्कि पिछले 18 महीने से उन्हें राशन भी नहीं मिला। मजबूर होकर वे अधिकारियों के दफ्तरों के चक्कर लगाते रहे, लेकिन मदद के अभाव में भूख और तंगी से संघर्ष करते हुए अंततः उनकी मृत्यु हो गई।

राशन और पेंशन से वंचित, 18 महीनों तक भूख से तड़पते रहे

कांता पांडेय और उनका परिवार कोरोना काल के दौरान बड़ी मुश्किलों का सामना कर रहा था। 2020 में उनकी सरकारी राशन दुकान से राशन कार्ड गायब हो गया, जिसके बाद उन्हें राशन मिलना बंद हो गया। 18 महीने पहले जब अधिकारियों ने गलती से उन्हें सरकारी रिकॉर्ड में मृत घोषित कर दिया, तो उनकी वृद्धा पेंशन भी रोक दी गई। कांता पांडेय पिछले डेढ़ साल से इस त्रासदी को झेलते रहे, लेकिन कहीं से कोई राहत नहीं मिली।

बेटे का दर्द: “अधिकारियों ने बार-बार फरियाद करने के बाद भी नहीं सुनी बात”

कांता पांडेय के बेटे गोपाल पांडेय, जो एक पैर से विकलांग हैं, ने बताया कि उनके परिवार को कभी भी सरकारी सहायता नहीं मिली। उन्होंने अधिकारियों से कई बार गुहार लगाई कि उनके पिता जीवित हैं और उन्हें पेंशन और राशन की जरूरत है, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई। गोपाल ने कहा, “हमें महीनों तक भूखा रहना पड़ा, और आखिर में गांववाले ही हमें अपना बचा हुआ खाना देने लगे।” गोपाल का दर्द उनकी आंखों में साफ झलकता है, लेकिन अधिकारियों की अनदेखी ने उनके पिता की जान ले ली।

कांता पांडेय की मौत के बाद सवालों के घेरे में सरकारी व्यवस्था

कांता पांडेय की मौत के बाद स्थानीय समाज में सरकार और प्रशासन के प्रति गहरा आक्रोश है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह घटना सरकारी सिस्टम की गंभीर खामियों को उजागर करती है, जिसने एक वृद्ध को जीवित होते हुए भी मौत की कगार पर पहुंचा दिया। लोगों का कहना है कि यदि अधिकारियों ने सही समय पर उनकी बात सुनी होती, तो शायद आज कांता पांडेय जिंदा होते।

सवालों के घेरे में प्रशासन: क्या किसी को मिलेगी न्याय और राहत?

इस घटना ने स्थानीय समाज कल्याण विभाग और संबंधित अधिकारियों की लापरवाही को लेकर कड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या प्रशासन से अब कोई एक्शन लिया जाएगा? क्या मृतकों के दस्तावेजों में हुई इस गलती के बाद किसी को जवाबदेह ठहराया जाएगा? इस घटना के बाद क्षेत्र में प्रशासन के प्रति अविश्वास और गहराता जा रहा है।

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