नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और साझीदार संगठनों का एक नया अध्ययन दर्शाता है कि महिलाओं के विरुद्ध हिंसा, युवा उम्र से ही शुरू हो जाती है और बुरी तरह व गहराई से जड़ें जमाए हुए है.
इस रिपोर्ट को महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा पर, अब तक का सबसे विस्तृत अध्ययन बताया गया है, जिसके अनुसार, अपने जीवनकाल में, हर तीन में से एक महिला यानि लगभग 73 करोड़ 60 लाख महिलाओं को, शारीरिक या यौन हिंसा का सामना करना पड़ता है, और इस आँकड़े में पिछले एक दशक में कोई ख़ास बदलाव नहीं आया है.
मंगलवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार हिंसा की शुरुआत कम उम्र में ही हो जाती है. 15 से 24 वर्ष आयु वर्ग में, हर चार में से एक महिला को अपने अंतरंग (घनिष्ठ) साथी के हाथों हिंसा का अनुभव करना पड़ा है.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के प्रमुख टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा, “हर देश और संस्कृति में, महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा की महामारी है, और कोविड-19 वैश्विक महामारी ने हालात और भी गम्भीर बना दिये हैं.”
अंतरंग साथी द्वारा हिंसा, महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा सबसे अधिक व्याप्त रूप बताया गया है, जिससे 64 करोड़ से ज़्यादा महिलाएँ प्रभावित हैं. लेकिन, दुनिया में छह फ़ीसदी महिलाओं ने बताया कि उनके पति या साथी के बजाय, उन्हें अन्य लोगों से यौन हमले का अनुभव करना पड़ा.
इस रिपोर्ट को, महिलाओं के विरुद्ध हिंसा के मुद्दे पर, अब तक का सबसे बड़ा अध्ययन क़रार दिया गया है, जोकि वर्ष 2000 से 2018 तक एकत्र किये गए आँकड़ों पर आधारित है. ताज़ा रिपोर्ट में वर्ष 2013 में जारी किये गए अनुमान में ताज़ा-तरीन जानकारी व आँकड़े जोड़े गए हैं.
महिला सशक्तिकरण के लिये यूएन संस्था – यूएन वीमैन (UN Women) की प्रमुख फ़ूमज़िले म्लाम्बो न्गुका ने बताया कि कोविड-19 के बहुत तरह केअसर हुए हैं, और महिलाओं व लड़कियों के ख़िलाफ़ हर प्रकार की हिंसा बढ़ी है.
अध्ययन दर्शाता है कि हिंसा से निम्न और निम्नतर आय वाले देशों में रह रही महिलाएँ ज़्यादा प्रभावित हैं. निर्धनतम देशों में 37 फ़ीसदी महिलाओं ने अपने जीवन में, अंतरंग साथी द्वारा शारीरिक और/या यौन हिंसा का अनुभव किया है. कुछ देशों में तो यह आँकड़ा 50 प्रतिशत तक है.
ओशेनिया, दक्षिणी एशिया, और सब-सहारा अफ़्रीका में, 15 से 49 वर्ष आयु वर्ग की महिलाओं में अंतरंग साथी द्वारा हिंसा के मामलों की दर सबसे ज़्यादा है जोकि 33 से 51 प्रतिशत के बीच है. योरोप में यह सबसे कम 16 से 23 प्रतिशत, मध्य एशिया में 18 प्रतिशत, पूर्वी एशिया में 20 प्रतिशत और दक्षिण पूर्वी एशिया में 21 प्रतिशत है.