लखनऊ: कल सोशल मीडिया पर खूब वायरल की जा रही एक वीडियो में चोरो को जूते की माला पहनाकर व सर मुंडवाकर गाँव में घुमाने पर जातीय गृह्णा फ़ैलाने का प्रयास किया गया था।
जिसपर हमारी गहन जाँच व स्थानीय पुलिस से बातचीत पर यह साफ़ हुआ कि घटना का ज़ात पात से कुछ लेना देना नहीं है। इस पर काल रात को हमारी एक रिपोर्ट में यह साफ़ किया गया था कि चार चोरो ने 4 जून को एक व्यक्ति के घर चोरी की थी जिनको गाँव वालो ने पकड़ लिया था।
चोरो में एक ब्राह्मण, एक ओबीसी व दो दलित भी थे। जैसा हर गाँव शहर में होता आया है ठीक वैसे पुलिस को सौपने से पहले गाँव के लोगो ने उनको पहले सजा देना बेहतर समझा जिसके बाद उनका सर मुंडवा कर लोगो ने जूते चप्पलो की माला पहना कर उनको थाने ले जाकर पुलिस को सौप दिया था।
पुलिस ने चोरो के पास से एक मोबाइल फ़ोन व एक टेबल फैन बरामद भी किया है। जिसके बाद उन चारो चोरो को पुलिस ने जेल भेज दिया था। ज्ञात होकि उसके बाद कुछ छूट-पुट दलित नेताओ ने इस घटना को जातीय रंग देना चाहा।
दलित संगठनों ने गलत तथ्य पेश करते हुए दावा किया कि दलितों को ब्राह्मण जूते चप्पल पहना कर घुमा रहे है जबकि मामला बिलकुल इससे परे था।
खैर दलित नेताओं के दबाव में आकर घटना के पुरे 6 दिन बाद पुलिस ने जिनके यहाँ चोरी हुई उस परिवार के दो सदस्यों पर ही एससी एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज जेल भेज दिया।
जबकि इलाहबाद हाई कोर्ट के हाल ही के फैसले में यह साफ़ है कि जब तक सामने वाले को पीड़ित की जाति न पता हो तब तक एससी एसटी एक्ट नहीं लगाया जा सकता है।
पुलिस के दलित संगठनों के दबाव में आकर कार्यवाई से पुरे गाँव में डर का माहौल बन गया है कि आगे चलकर पुलिस निष्पक्ष जांच करेगी भी या नहीं।
कुछ गाँव वालो से हमारी बातचीत में यह साफ़ निकलकर आया कि गाँव वालो ने उनके साथ ऐसा इसलिए किया ताकि वह ऐसा फिर कोई कृत्य न कर सके। वहीं वीडियो भी इसी कारण से बनाया गया था।
ज्ञात होकि सजा देने में सभी वर्ग के लोग एक साथ थे परन्तु अफसोसनाक बात यह रही की चोरी ब्राह्मण के घर हुई थी व दलित नेताओं को ब्राह्मण बनाम दलित करना था इसलिए उन्हें बलि का बकरा बना दिया गया।
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Why Shivendra Tiwari is writing this piece?
Shivendra Tiwari is a student of journalism at the University of Delhi. Shivendra comes from a very remote village of Rewa situated in Madhya Pradesh. Shivendra’s knowledge about regional and rural politics defines his excellence over the subject. Apart from FD, he writes for ‘Academics 4 Namo’ and ‘Academics for Nation’ to express the clear picture of right-wing in the rural areas.