पेरिस(फ़्रांस) : कोरोना से बचाव के लिए वैश्विक नेताओं ने हाथ मिलाने की जगह नमस्ते को चुना है अभिवादन।
हजारों साल पुराने सनातन परंपरा के अभिवादन तरीके “नमस्ते” को अब वैश्विक पहचान मिलने लगी है। ये तब हुआ है जब पूरी दुनिया घातक कोरोना वायरस की चपेट में आ चुकी है।
WHO से लेकर स्वास्थ्य से जुड़े हर संगठन कोरोना से बचाव के लिए अभिवादन स्वरूप हाथ मिलाने को निषेध करार कर रहे हैं।
नई तस्वीरें फ्रांस से आई हैं जहां फ्रांस व जर्मनी के राष्ट्र प्रमुखों ने जब मुलाकात की तो हाथ मिलाने की बजाय सनातन परंपरा की अभिवादन शैली नमस्ते किया।
इमैनुएल मैक्रोन, जोकि फ्रांस के राष्ट्रपति हैं और एंजेला मर्केल, जर्मनी के चांसलर नमस्ते के साथ एक-दूसरे का स्वागत करते दिखे हैं।
Willkommen im Fort de Brégançon, liebe Angela! pic.twitter.com/lv8yKm6wWV
— Emmanuel Macron (@EmmanuelMacron) August 20, 2020
मार्च में इजरायली पीएम ने देश को दी थी सलाह:
वहीं इज़राइल के प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कोरोना के प्रसार को कम करने के लिए पूरी दुनिया भारत की अभिवादन शैली अपनाने की सलाह मार्च में ही दे दी थी।
दरअसल कोरोना वायरस पर जब नेतन्याहू एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे उसमें उन्होंने इजरायली नागरिकों को अभिवादन की शैली को भारत के नमस्ते अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया था।
Prime Minister of Israel Benjamin Netanyahu @netanyahu encourages Israelis to adopt the Indian way of greeting #Namaste at a press conference to mitigate the spread of #coronavirus pic.twitter.com/gtSKzBDjl4
— India in Israel (@indemtel) March 4, 2020
दरअसल भले दुनिया आज नमस्कार या नमस्ते अभिवादन शैली को स्वीकार करने को मजबूर हो गया लेकिन भारत में हिन्दू धर्म में वैदिक कालों से ही ये शैली प्रचलित रही है।
इसके इतिहास में जाएं तोन मस्ते शब्द वेद में मिलता है, साथ ही सत्य शास्त्रों और आर्य इतिहास (रामायण, महाभारत आदि) में ‘नमस्ते’ शब्द का ही प्रयोग हर जगह पाया जाता है। पुराणों आदि में भी नमस्ते प शब्द का ही प्रयोग पाया जाता है।
उदाहरण के लिए :
1. “दिव्य देव नमस्ते अस्तु” (अथर्व वेद 2/2/1)
अर्थात “हे प्रकाशस्वरूप देव प्रभो आपको नमस्ते होवे”
2. “नमस्ते भगवन्नस्तु”– (यजुर्वेद 36/21)
अर्थात “हे ऐश्वर्यसम्पन्न ईश्वर ! आपको हमारा नमस्ते होवे।”
नमस्ते या नमस्कार मुख्यतः हिन्दुओं और भारतीयों द्वारा एक दूसरे से मिलने पर अभिवादन और विनम्रता प्रदर्शित करने वाला शब्द है। यह शब्द संस्कृत के नमस शब्द से निकला है।
Donate to Falana DIkhana: यह न्यूज़ पोर्टल दिल्ली विश्विद्यालय के मीडिया छात्र अपनी ‘पॉकेट मनी’ से चला रहे है। जहां बड़े बड़े विश्विद्यालयों के छात्र वामपंथी विचारधारा के समर्थक बनते जा रहे है तो वही हमारा पोर्टल ‘राष्ट्रवाद’ को सशक्त करता है। वही दिल्ली विश्विद्यालय जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में पढ़ रहे हमारे युवा एडिटर्स देश में घट रही असामाजिक ताकतों के खिलाफ लेख लिखने से पीछे नहीं हटते बस हमें आशा है तो आपके छोटे से सहयोग की। यदि आप भी हम छात्रों को मजबूती देना चाहते है तो कम से कम 1 रूपए का सहयोग अवश्य करे। सादर धन्यवाद, ‘जयतु भारतम’