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भविष्य में इसरो के मिशन – सूर्य, वीनस और मानव

सतीश धवन स्पेस स्टेशन(श्रीहरिकोटा) : अंतरिक्ष की दुनिया में अपना लोहा मनवा चुकी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी की इसरो में दुनिया भर की रूचि बढ़ रही है। चलिए आज जानते है इसरो के भविष्य में लांच होने वाले मिशन के बारे में :

1) Chandrayaan-2 – चंद्रयान की सफलता के बाद इसरो द्वारा चंद्रयान 2 को भी भेजने का मन बनाया गया था जिसपर कार्य करते हुए चंद्रयान 2 को वर्ष 2019 के शुरुआती महीनो में भेजे जाने की उम्मीद है। चंद्रयान 2 में लैंडर, रोवर और ऑर्बिटर समाहित होगा जिसको GSLV – MKIII व्हीकल की मदद से अंतरिक्ष की ओर भेजा जायेगा जिसका कार्य चन्द्रमा के वातावरण और उसके भूगौलिक स्थिति को समझना है।

2) आदित्य-L1 : 400 किलो वजनी इस सोलर प्रोब मिशन का नाम आदित्य L 1 रखा गया है जो सूर्य के बेहद नजदीक जाकर इसरो तक जरुरी जानकारिया भेजेगा। अभी हाल ही में नासा द्वारा पार्कर सोलर प्रोब अंतरिक्ष में सूर्य के बेहद नजदीक आंकड़े जुटाने के लिए भेजा गया था जो सूर्य की इलेक्ट्रिक फील्ड को महसूस करके उनके आंकड़े नासा तक पहुंचाएगा



वही अंतरिक्ष की दुनिया में अभी तक सूर्य पर अधिक जानकारिया नहीं जुटाई जा सकी है इसलिए भी यह भारत के लिए बेहद महत्त्वपूर्ण मिशन हो जाता है इसरो ने इसे साल 2019 -20 के अंत तक भेजने का मन बनाया है अगर यह मिशन कामयाब होता है तो यह इसरो कि साख को चार चाँद लगा देगा।

3) AVATAR – अवतार यानी “Aerobic Vehicle for Transatmospheric Hypersonic Aerospace Transportation” जो इसरो का सबसे महत्त्वकांशी योजना है जो भारत को अंतरिक्ष की दुनिया में मानव को भेजने की प्रतिभा को हासिल कर लेगा। इस योजना में इसरो का साथ भारत की डिफेन्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट आर्गेनाईजेशन भी दे रही है जो साथ मिलकर REUSABLE SPACEPLANE बना रही है जिसकी मदद से भारत बार बार एक ही स्पेस प्लेन की सहायता से अलग अलग मानव मिशन को अंतरिक्ष में भेज सकेगा। इस योजना के 2025 पूरी होने की उम्मीद है जो भारत को उन तीन चुनिंदा देशो की श्रेणी में कहड़ा कर देगी जिन्हे यह माहरत हासिल है – अमेरिका,रूस और चीन ।

4) GSAT-11 : 5854 किलो वजनी इस कम्युनिकेशन सॅटॅलाइट को इसरो के I-6K Bus का अकार दिया गया है। यह सॅटॅलाइट इसलिए भी खास है क्यूंकि यह इसरो के इतिहास की सबसे भारी सॅटॅलाइट होने जा रही है जिसको की फ्रेंच गिनी से Ariane-5 लांच व्हीकल से अंतरिक्ष में स्थापित किया जायेगा। इसका कार्य क्षेत्र पूरा भारत होगा जिसमे अंडमान एंड निकोबार भी शामिल है


5) RISAT-1A – “RISAT-1” की तर्ज पर बनाये गई यह सॅटॅलाइट एक राडार इमेजिंग सॅटॅलाइट है जिसका कार्य टेर्रिन मैपिंग व जमीन, समुन्द्र का अध्यन करना है।

6) NISAR : यह प्रोजेक्ट नासा व इसरो मिलकर चलने जा रहे है जिस कारण से इसका नाम भी निसार रखा गया है। Nasa-Isro Synthetic Aperture Radar (Nisar) एक synthetic aperture radar सॅटॅलाइट है जो रिमोट सेंसिंग के लिए प्रयोग की जाएगी। इसपर अभी और जानकारिया आनी बाकी है ।

7) Mars Orbiter Mission 2 – मंगलयान की सफलता के बाद मंगलयान 2 इसरो द्वारा भेजा जायेगा जिसका अंग्रेजी नाम मार्स ऑर्बिटर मिशन 2 रखा गया है। मंगलयान की सफलता के बाद भारत उन चुनिंदा देशो की फेहरिस्त में शामिल हो गया था जिन्होंने मंगल पर सफलता पूर्वक कोई मिशन पूरा किया हो यहाँ तक की चीन भी अभी तक मंगल पर अपना मिशन कामयाबी से पूरा नहीं कर सका है। मंगलयान २ में ऑर्बिटर, लैंडर व रोवर तीनो ही शामिल है जो मंगल की सतह पर उतर कर इसरो तक जरुरी आंकड़े भेजेंगे । इसरो ने इसको लांच करने का समय वर्ष २०२१-22 तय किया है ।

8) Indian Venusian orbiter MISION : वीनस एक ऐसा गृह है जहा अभी तक किसी व्ही प्रकार की कोई खोज नहीं हो सकी है, मानव द्वारा इसपर कभी उतना ध्यान नहीं दिया गया है वर्ष 2018 तक सिर्फ चार स्पेस एजेंसी ही वीनस पर मिशन भेज चुकी है जिसमे सफलता सबसे पहले नासा के हाथ वर्ष 1962 में लगी थी। अमेरिका, रूस, जापान और यूरोपियन यूनियन ही वीनस पर सफलता पूर्वक मिशन भेज सके है, इसरो 2020 को अपना पहला मिशन अंजाम देने जा रही जिसमे वह वीनस के वातावरण को समझने का प्रयास करेगी।

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