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#Fact: MP में गठित सामान्य वर्ग आयोग एक छलावा, मात्र एक लाख सालाना आय वाले आएंगे दायरे में

भोपाल: मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा सामान्य वर्ग की घोषणा के साथ ही मीडिया में इसे एक मास्टर स्ट्रोक की तरह दिखाने व बताने का सिलसिला शुरू हो गया है। साथ ही शिवराज मामा ने 11 सितम्बर को सामान्य वर्ग कल्याण आयोग का अध्यक्ष अपने करीबी शिवकुमार चौबे को बना दिया।

जिसके एक दिन बाद 12 सितम्बर को सतना में एक सभा को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने सूबे में सामान्य वर्ग आयोग के गठन की घोषणा कर अपना चुनावी वादा पूरा करने का दावा किया। घोषणा को परखते हुए पत्रकारों ने इसे शिवराज सिंह का मास्टर स्ट्रोक बताया। मीडिया ने इसे ऐसे प्रचारित किया जैसे मुख्यमंत्री ने नए सामान्य आयोग की घोषणा की है। पहली नजर में सब कुछ सामान्य व सवर्णो को मिलने वाले नए आयोग के रूप में लग रहा था।

#फैक्ट: सवर्ण आयोग नहीं, सामान्य निर्धन वर्ग कल्याण आयोग बना है

12 सितम्बर को यह चर्चा जोरों पर रही कि मध्यप्रदेश में सामान्य वर्ग आयोग का गठन किया गया है। सवर्णो को लगा की मुख्यमंत्री ने उनके लिए कोई नया आयोग गठित कर दिया है। मीडिया ने भी इसकी सच्चाई नहीं दिखाई। खबर जब हम तक पहुँची तो हमने इसकी पड़ताल की और इसके लिए जरूरी थी मुख्यमंत्री की वो स्पीच जिसमें उन्होंने सामान्य वर्ग आयोग बनाने की घोषणा की है। सतना में मुख्यमंत्री की घोषणा वाले उस वीडियो को हमने खंगाला तो देखा कि मुख्यमंत्री साफ तौर पर कह रहे हैं कि – “हमने सामान्य वर्ग आयोग बनाने का फैसला लिया है और कल उसके अध्यक्ष को भी नियुक्त कर दिया है”।

मुख्यमंत्री के इस वक्तव्य से स्पष्ट था कि CM सामान्य निर्धन वर्ग कल्याण आयोग की बात कह रहे हैं जिसका अध्यक्ष “शिवकुमार चौबे” को उन्होंने एक दिन पूर्व (11 सितम्बर को) बनाया था। निर्धन शब्द लगाने से उन्होंने लगभग 60 फीसदी से अधिक सामान्य वर्ग के लोगो को इस आयोग से ही बाहर का रास्ता दिखा दिया। साथ ही सामान्य वर्ग की ओर से सवर्ण आयोग की लगातार मांग की जा रही थी न कि किसी निर्धन या BPL आयोग की। सामान्य वर्ग के लोग इस आयोग के माध्यम से अपनी समस्याएं हल कराने के लिए एक रास्ता खोज रहे थे जिसे सरकार गरीबी हटाओ योजनाओ के तौर पर ले आई।

#फैक्ट: 2008 में ही बन गया था सामान्य निर्धन वर्ग कल्याण आयोग

मध्यप्रदेश में गठित सामान्य निर्धन वर्ग कल्याण आयोग जिसे BJP और मीडिया सवर्ण आयोग(Sawarn Ayog) बता रहे हैं यह कोई नया नहीं है बल्कि 2008 में ही तत्कालीन BJP सरकार ने इसे बना दिया था। तब इसके पहले अध्यक्ष बाबूलाल जैन निर्वाचित हुए थे। इसके बाद अध्यक्ष बनाए गए बालेन्दु शुक्ला को BJP सरकार में कैबिनेट का दर्जा भी दिया गया था। हालाँकि तब से अभी तक यह आयोग सिर्फ पद बाटने व कागजो में आयोग के रूप में कार्य कर रहा था।

2019 में कमलनाथ सरकार ने किया था बन्द

2018 में मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार में CM कमलनाथ ने 2008 से गठित इस आयोग को 31 मार्च 2019 को निष्क्रिय कर दिया था।

फैक्ट: अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति व OBC आयोग से बिल्कुल अलग है सामान्य निर्धन वर्ग कल्याण आयोग

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह घोषणा की है कि सामान्य आयोग भी अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति और OBC आयोग की तरह ही है। साथ ही कार्य भी उसी तर्ज पर करेगा। जबकि मुख्यमंत्री का यह दावा बिल्कुल जनता को गुमराह करने वाला है। देश/ प्रदेश में गठित अन्य आयोगों की जहां संवैधानिक मान्यता है तप वहीं निर्धन वर्ग के लिए गठित इस आयोग की कोई संवैधानिक मान्यता नहीं है।

फैक्ट: एक लाख वार्षिक आय तक का परिवार है पात्र

यह आयोग विभिन्न प्रकार की छात्रवृत्ति योजनाएं जैसे-स्वामी विवेकानंद प्रीमैट्रिक/पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना ,सुदामा छात्रवृत्ति योजना ए. पी. जे. अब्दुल कलाम मेधावी छात्रप्रोत्साहन योजना,वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई साइकिल वितरण योजना संचालित करता है। लेकिन इन छात्रवृत्ति की पात्रता आय केवल 1 लाख वार्षिक है जो पहले 54 हजार वार्षिक थी। मतलब जिस परिवार की आय 1 लाख रुपया सालाना या उससे कम है वही इन योजनाओं के पात्र है।

फैक्ट: आयोग की कोई वेबसाइट भी नहीं है

मध्यप्रदेश सरकार द्वारा बनाए गए इस आयोग में कई कमियां हैं, न तो इस आयोग की किसी ऑफिसियल वेबसाइट का पता है और न ही इस आयोग की जानकारी लोगों को थी। इसके अलावा आयोग के नाम से लेकर पात्रता तक कई कमियां हैं लेकिन फिर भी मध्यप्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य है जिसने इस आयोग का गठन किया है।


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Shubham is a student of journalism at Makhanlal University, Bhopal.

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