नई दिल्ली:- मोदी सरकार भारतीय इतिहास में एक के बाद एक विवादस्पद घटनायें जोड़े जा रही है। जहाँ एक तरफ भारतीय इतिहास में गरीब सवर्णो को पहली बार 10 % आरक्षण दिया जा रहा है, वहीँ दूसरी ओर मोदी सरकार सवर्णो को आरक्षण का लॉलीपॉप देकर पीछे के रास्ते से उन क्षेत्रों में भी आरक्षण देने जा रही है जो कि अभी तक इस आरक्षण नामी भष्मासुर से परे थे।
2019 के लोकसभा चुनावो से पहले मोदी सरकार अपने दोनों हाथो में लड्डू लेने की कोशिश कर रही है। मोदी सरकार ने एक हाथ से सवर्ण वोटों को साधने के लिए जहाँ 10% आरक्षण दिया, वहीँ दूसरे हाथ से आरक्षित वर्ग के लोगों को साधने के लिए अन्य क्षेत्रों में भी आरक्षण ला रही है। इस बार बजट सत्र में अपने इस फैसले को लागूकरने के लिए बिल लायेगी, जिसके बाद आज से 12 साल पहले निजी क्षेत्रों में आरक्षण के लिए पास हुआ प्रावधान लागू हो जायेगा।सरकार के इस फैसले के बाद अब निजी क्षेत्रों में भी कुल 60% आरक्षण हो जायेगा | इसके लिए सरकार सरकारी संस्थानों में सिर्फ 25 प्रतिशत सीटों की बढ़ोतरी कर रही है, जोकि 60% का भार झेलने में अपर्याप्त है।
सरकार के इस फैसले से ना सिर्फ निजी क्षेत्रों कि स्वायत्ता नष्ट होगी बल्कि उसकी कार्यक्षमता भी प्रभावित होगी। मोदी सरकार के इस फैसले से उन लोगों को सबसे ज्यादा नुकसान होगा जो मेहनत करकर मेरिट के अंतर्गत आते हैं। मोदी सरकार काफी समय से न्यायपालिका में भी आरक्षित वर्ग को आरक्षण देने की बात कर रही है।
जातिगत आरक्षण के सबसे बड़े विरोधी और युथ फॉर इक्वलिटी के अध्यक्ष “कौशल कांत मिश्रा” का कहना है कि सरकार का यह कदम राजनीति से प्रेरित है और इससे समाज में जातिगत भेदभाव और बढ़ेगा।
संविधान के अनुच्छेद 335 के अनुसार कहा गया है कि “SC/ST वर्गों के लोगों को आरक्षण देते समय संस्थान की कार्यक्षमता का भी ध्यान रखा जाये”। ऐसे समय में सवाल यह उठता है कि मोदी सरकार संस्थान की कार्यक्षमता प्रभावित न हो उसके लिए क्या प्रावधान करेगी।
Sab sab AK Saman ham bahut garib hai. Naukri nahi Mil rahi hai. Koyi to hai Mai ka Lal hame naukri dilwa de 2 year ka experience 1year purvanchal Vidyut Vitaran Nigam ltd mirzapur u.p pathrhiya pawar hause sab stetion 33/11.or electiricion I. T. I paas hai please hamari helf kare. Jai Mai bhagwati