ग्वालियर: हाईकोर्ट परिसर में डॉ. भीमराव अंबेडकर की मूर्ति स्थापना को लेकर लंबे समय से चला आ रहा विवाद शनिवार को उस समय विस्फोटक हो गया जब भीम आर्मी के कार्यकर्ता मूर्ति के समर्थन में कोर्ट परिसर पहुंचे। वहां पर उन्होंने जय भीम के नारे लगाए और वकीलों से बहस करने लगे। इस दौरान वकीलों ने आरोप लगाया कि भीम आर्मी के सदस्यों ने एक वरिष्ठ अधिवक्ता को फोन पर गाली दी और हाईकोर्ट के गेट बंद करवाने की धमकी दी। माहौल ऐसा बिगड़ा कि वकीलों ने भीम आर्मी के कुछ कार्यकर्ताओं को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। पुलिस मौके पर पहुंची और किसी तरह हालात पर काबू पाया।
जय भीम के नारों के साथ पहुंचे कार्यकर्ता, कोर्ट परिसर में शुरू हुई बहस
शनिवार को दोपहर के समय भीम आर्मी के कुछ कार्यकर्ता ग्वालियर हाईकोर्ट की खंडपीठ के बाहर एकत्र हुए। उनका उद्देश्य कोर्ट परिसर में डॉ. अंबेडकर की मूर्ति स्थापित करने की मांग को आगे बढ़ाना था। कार्यकर्ताओं ने परिसर में ‘जय भीम’ और ‘भीमराव अम्बेडकर अमर रहें’ जैसे नारे लगाए, जिससे वहां पहले से मौजूद वकील समुदाय में नाराजगी फैल गई। वकीलों का कहना है कि यह पूरा मामला हाईकोर्ट की गरिमा के खिलाफ है। उन्होंने आरोप लगाया कि भीम आर्मी से जुड़े कुछ लोगों ने एक वरिष्ठ वकील को फोन पर गाली दी और धमकी दी कि यदि कोर्ट का गेट नहीं बंद किया गया तो संगठन के सदस्य अंदर आकर हंगामा करेंगे।
विवाद ने लिया हिंसक रूप, भीम आर्मी के कार्यकर्ता रूपेश कैन से मारपीट
विवाद महज बहस तक सीमित नहीं रहा। जैसे ही बात बढ़ी, मौके पर उपस्थित वकीलों और भीम आर्मी के सदस्यों के बीच झड़प हो गई। बताया गया कि गुस्साए वकीलों ने भीम आर्मी के कार्यकर्ता रूपेश कैन की पिटाई कर दी। एक वायरल वीडियो में दिख रहा है कि कई वकील और पुलिसकर्मी रूपेश को घेरे हुए हैं और वह सड़क पर गिरा हुआ है। पुलिस अधिकारियों ने तत्काल हस्तक्षेप कर दोनों पक्षों को अलग किया। बावजूद इसके दोनों ओर से काफी देर तक तीखी झड़प चलती रही। गनीमत रही कि मामला कोर्ट परिसर के भीतर नहीं पहुंचा, वरना हालात और बिगड़ सकते थे।
प्रदेश के चीफ जस्टिस ने विधिक अधिकारियों को जबलपुर बुलाया
इस विवाद ने न्यायिक तंत्र को भी सकते में डाल दिया है। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने इस पूरे मामले की गंभीरता को देखते हुए विधिक अधिकारियों को जबलपुर बुलाया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, अतिरिक्त महाधिवक्ता, सीनियर वकील, बार एसोसिएशन के पदाधिकारी, भवन समिति के सदस्य और अन्य वरिष्ठ अधिकारी इस मीटिंग में भाग लेंगे। यह बैठक मूर्ति स्थापना से जुड़े विवाद को स्थायी रूप से सुलझाने के लिए बुलाई गई है। बैठक में यह भी तय किया जाएगा कि आगे से हाईकोर्ट परिसर में इस तरह के संगठनात्मक प्रदर्शन और विरोध को कैसे रोका जाए ताकि अदालत की गरिमा बनी रहे।
क्यों विवाद में उलझा है अंबेडकर की मूर्ति का मामला? जानिए अब तक क्या हुआ
ग्वालियर हाईकोर्ट परिसर में डॉ. भीमराव अंबेडकर की मूर्ति लगाने की मांग वर्षों से की जा रही है। कुछ अधिवक्ता इस प्रस्ताव के पक्ष में हैं और उन्होंने आर्थिक सहयोग भी जुटाया है। वहीं, बार एसोसिएशन का कहना है कि इस तरह की कोई भी स्थापना सिर्फ ‘भवन समिति’ की अनुमति से ही की जा सकती है, जो इस मामले में नहीं ली गई है। कुछ दिनों पहले मूर्ति के लिए चबूतरा बनवाया गया था, जिसे बार एसोसिएशन के कुछ सदस्यों ने विवादास्पद बताते हुए विरोध शुरू कर दिया। इसके बाद यह मामला बार और दलित वकीलों के बीच टकराव में बदल गया। पिछले कुछ समय से मामला शांत था, लेकिन बुधवार को अचानक फिर से यह मुद्दा गरम हो गया, जिसके बाद शनिवार को बड़ी घटना हो गई।