चंडीगढ़: सोमवार को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने चौथे अतंर्राष्ट्रीय सरस्वती महोत्सव में ऑनलाइन माध्यम से भाग लिया।
मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में कहा कि भारतीय सभ्यता की पालक मां सरस्वती को समर्पित इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लेकर स्वयं को धनी समझता हूँ। फिर उन्होंने आगामी सरस्वती पूजा पर बधाई देते हुए कहा कि कल मां सरस्वती का पावन पर्व बसंत पंचमी है, मैं मां सरस्वती के चरणों में नमन करते हुए आप सबको बसंत पंचमी की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूँ।
उन्होंने इस दौरान कहा कि हमारे लिए गर्व की बात है, कि हमारे प्रदेश को विश्वभर में वैदिक संस्कृति के उद्गम स्थल के प्रदेश के नाम से जाना जाता है लेकिन इसका भी श्रेय यहाँ बहने वाली मां सरस्वती को ही जाता है। सरस्वती नदी के महत्त्व को देखते हुए हमने सरस्वती पर शोध व अन्य कार्यों के लिए वर्ष 2015 में ‘सरस्वती हैरिटेज विकास बोर्ड’ की स्थापना की।
कार्यक्रम में घोषणा करते हुए उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार द्वारा सरस्वती नदी के पुनरुद्धार के लिए परियोजना को मंजूरी दी गई है, इसमें आदिबद्री में सरस्वती बांध, सरस्वती बैराज और सरस्वती जलाशय का निर्माण किया जाएगा। सरस्वती नदी के साथ सोम और घग्गर दोनों नदियों के परस्पर संपर्क का कार्य चल रहा है, जिसके परिणामस्वरूप बाढ़ नियंत्रण सिंचाई में सुधार व भूजल रिचार्जिंग का लाभ मिलेगा।
फिर मुख्यमंत्री खट्टर ने कहा कि सरस्वती शोध संस्थान की प्रारंभिक उपलब्धियों का श्रेय माननीय स्व. दर्शन लाल जी जैन को ही जाता है। आपको बता दें कि प्रतिबद्ध समाजसेवी, सरस्वती नदी के पुनर्जीवन में विशेष योगदान देने वाले, RSS के हरियाणा प्रांत के पूर्व संघ चालक, पद्म भूषण श्री दर्शन लाल जैन जी का पिछले सप्ताह ही निधन हो गया था जिन्हें मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में याद किया, कहा प्रभु श्री राम से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान प्रदान करें।
कार्यक्रम में उन्होंने ये भी कहा कि ऋगवेद में सरस्वती को ‘अम्बितमे नदीतमे देवितमे’ कहकर इसकी स्तुति की गई है और सब नदियों में श्रेष्ठ बताया गया है।