‘आरक्षण अमीरन के बढ़ावै के ड्रामा हवै’: झोपड़ी में रह रहा रायबरेली का दलित परिवार, गरीबी में बच्चे छोड़ दिए पढ़ाई

रायबरेली: हर सरकार दलित कल्याण के लिए बहुत सारी योजनाएं चला रही है। इन योजनाओं को भारी भरकम अनुदान भी दिया जा रहा है लेकिन क्या इन योजनाओं का लाभ जमीनी स्तर पर दलित वर्ग को मिल रहा है!

आखिर सरकारी अनुदान कहा जा रहा है इसकी पड़ताल हमने करने की कोशिश की तो सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली में गरीब दलित परिवार आज भी मुख्यधारा से कोसों दूर नजर आया।

दरअसल हमारे ग्राउंड रिपोर्टर मिले रायबरेली में ग्राम पंचायत चकलोदीपुर के रहने वाले अर्जुन रैदास से। अर्जुन कक्षा 8 तक पढे़ हैं परिवार में बीबी व 4 बच्चे हैं। बच्चे क्रमशः प्रदीप कुमार 15 वर्ष, शिवानी 13 वर्ष, शनि 12 वर्ष व प्रिंष 7 वर्ष हैं।अर्जुन के पास सरकारी एक अदद सफेद राशन कार्ड है, जिसमें 18 किलो गेंहूँ व 12 किलो चावल प्रति माह परिवार को सरकारी खजानें से के मिलता है परिवार के पास न खेती है न सर पर अपनी छत है।

6 सदस्यों वाले गरीब दलित परिवार में आजतक सरकारी आवास न मिलने पर कारण पूछा तो बिल्कुल अर्जुन असहाय महसूस हुए। उन्होंने बताया कि सरपंच व सचिव से बात की तो वो बोलते हैं कि नाम है लेकिन हमारे हाथ में नहीं है। आज तक कुछ नहीं हुआ जबकि हमसे अमीर दलित परिवारों के घर बन गए। अर्जुन ने कहा कि एक बार गांव में डीएम आए तो आवास की शिकायत कर दी तो सरपंच 6 महीने तक बोलचाल ही बंद कर दिया।

Mud House of Arjun Raidas

जमीन के बारे में अर्जुन ने बताया कि दादा का कमरा उनकी बेटी द्वारा बेचे जानें पर भाई विनोद नें सन् 2012 में चचाजात बहन से खरीद कर दे दिया था। लेकिन अब अपना मकान खाली करनें का दबाव कर रहें हैं। व पैतृक सम्पत्ति में खाली 1/3 भाग देनें को तैयार हैं। जब हमनें राशन कार्ड पर चर्चा करी तो अर्जुन नें बहुत जोर से हँस कर जवाब दिया सफेद है हमसे गरीब तीन मंजिल वाले हैं हीरो हण्डा धारक उनको 35 किलो प्रति महीना मिलता है। हमारे 6 लोगों के परिवार के  लिये केवल 30 किलो राशन सफेद कार्ड पर मिलता है।

जब काम के बारे में चर्चा की तो अर्जुन का कहना है “भईया महीना में दस बीस दिन काम मिल जाता है। उसमें भी मालिक ईमानदार मिल जाय पसीना सूखय से पहले मजदूरी मिल जाये तो ठीक ही है, नही तो रात में सात बजे नमक य तेल चाहे मिर्चा दुकानदार से भईया चारी से मिलने को है उसमें भी 10- 20 दिन काम की मण्डी से जब वापस लौटना पड़ता है तौ बुखार आ जाता है। इतनी ठंडक में अर्जुन व बडा़ बेटा सुबह सात साढे़ सात बजे रायबरेली मजदूरी करनें जातें हैं व दिनभर मजदूरी करके देर शाम 7 से 8 बजे तक घर आते हैं।”

मैंनें उनसे पूंछा मनरेगा में क्यों नही जाते हो तो बडा़ हास्यास्पद जवाब दिया एक जाब कार्ड पर दोनों भाई लाभार्थी हैं, इस प्रकार प्रत्येक को मनरेगा का वर्ष में 50 दिन ही रोजगार दिया जाता है। इस पर जब ग्राम विकास अधिकारी सुषमा वर्मा जी से चर्चा की गयी तो उन्होंनें पूरा ठीकरा परिवार पर पटक कर दायित्व से इतिश्री कर ली।

जबकि उक्त ग्राम पंचायत चकलोदी पुर की क्षेत्रीय प्रमुख विकास खंड राही की प्रमुख श्रीमती लक्ष्मी जी निवासी रूस्तम पुर से भी कई बार अर्जुन नें स्वयं कहा भी। इसके क्रम में बीडीओ राही से भी बात की गयी उन्होंनें नये वित्तीय वर्ष में मनरेगा जाब कार्ड प्रथक किये जाने का आश्वाषन दिया।अब सवाल ये उठता है कि इन सरकारी अनुदानो का कितना लाभ अर्जुन को मिला ये आप इस पूरे कहानी मे समझ ही चुके होंगे।

जब अर्जुन से पूछा गया कि बच्चों को आरक्षण के लाभ तो मिलते होंगे न तो अर्जुन नें कहा अरे आरक्षण ज्यादा कुछ नही जानित लेकिन एक बात जरूर जानित है कि बड़कै अमीरन कै लड़के का आगे और अमीर बनावय का ड्रामा है हमहूँ का सफाई कर्मी कै नौकरी मिल सकत रही लेकिन पचास हजार न दै पावय कै कारण नौकरी नही मिली हमहूँ अठवा पढे़ हवन।बच्चों की पढा़ई व भविष्य के बारे में पूछा तो अर्जुन नें कहा बडा़ लड़का प्रदीप कक्षा 8 पास किया था मेरा हाथ खराब था घर में रोटी के लाले पडे़ होनें के कारण कक्षा नौ में नाम न लिखवाकर मजदूरी करनें चला गया।

खैर सरकार के द्वारा आठवीं तक शिक्षा नि:शुल्क कर देनें से कम से कम हम गरीबों के लड़के पढ़ लेते हैं बिटिया शिवानी कक्षा 10 में हैं तीसरे नम्बर का 7 मे व छोटा वाला 4 में है। चाहित तो हमहू है कि लड़का य बिटिया कोऊ तो सरकारी नौकरी पाय जावे लेकिन गरीबी फिर रोडा़ न बन जाय। बिटिया 8वीं तक प्राइवेट स्कूल में पढ़ी अब ज्यादा फीस लगती है तो कहाँ से दें।

+ posts

Vinay covers crime for Falana Dikhana.

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Previous Story

महाराष्ट्र: ‘पालघर जैसे मारने आए हो’ चिल्लाता रहा साधू, हथियार लैस भीड़ ने मरणासन्न कर झाड़ी में फेंका

Next Story

‘दीमक जैसे कांग्रेस को ख़त्म कर रहे हैं सहयोगी’: आघाडी सरकार के विरोध में कांग्रेस नेता का सोनिया को पत्र

Latest from उत्तर प्रदेश

जिंदा होने के सबूत देने में जुटे बुजुर्ग की मौत: सरकारी दस्तावेज़ों में मृत घोषित, 18 महीने से राशन से वंचित

सोनभद्र: शक्तिनगर थाना क्षेत्र के चिल्काडाड गांव में एक मार्मिक घटना सामने आई है, जिसमें 70…