नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को नए संसद भवन की आधारशिला रखने के बाद कहा कि नया संसद भवन आत्मनिर्भर भारत का गवाह बनेगा. पुराने भवन से देश की आवश्यकताओं की पूर्ति हुई, लेकिन नए संसद भवन से 21वीं सदी की आकांक्षाएं पूरी होंगी. संसद के शक्तिशाली इतिहास के साथ-साथ यथार्थ को भी स्वीकार करने की जरूरत है.
पुराने संसद भवन के बारे में पीएम ने कहा कि ‘समय की जरूरत के साथ इस भवन को अपग्रेड करने की कोशिश की गई हैसाउंड, आईटी, सुरक्षा सिस्टम अपग्रेड किया गया है, कई बार दीवारें भी तोड़ी गई हैं, लेकिन अब यह भवन विश्राम मांग रहा है’.
नया संसद भवन बनाने की ये हैं प्रमुख वजह:
वर्तमान संसद भवन का शिलान्यास 12 फरवरी 1921 को किया गया था. उस समय इस इमारत के निर्माण में करीब 6 साल का समय लगा था और इसके निर्माण में 83 लाख रुपये खर्च हुए थे. तब इस इमारत का उद्घाटन भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड इरविन द्वारा 18 जनवरी 1927 को किया गया था.
नई इमारत बनने के बाद इसे पुरातत्व धरोहर में बदला जा सकता है. बाकी संसदीय कार्यक्रमों में भी इसका इस्तेमाल किया जाएगा मौजूदा संसद भवन को बने करीब सौ साल का समय पूरा होने जा रहा है. इसमें कई जगहों पर मरम्मत की जरूरत है. वेंटीलेशन सिस्टम, इलेक्ट्रिसिटी सिस्टम, ऑडियो-वीडियो सिस्टम जैसी कई चीजों में सुधार की जरूरत है. इसके अलावा मौजूदा संसद भवन भूकंप रोधी भी नहीं है. ऐसे में सरकार ने नया संसद भवन बनाने का फैसला लिया.
क्या अंतर है नये और पुराने संसद भवन में:
नई इमारत बनाने का ठेका टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड को मिला है. उसने सितंबर 2020 में 861.90 करोड़ रुपये की बोली लगाकर ये ठेका हासिल किया था.
नया संसद भवन सेन्ट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का हिस्सा है. इस प्रोजेक्ट का खाका गुजरात स्थित एक आर्किटेक्चर फ़र्म एचसीपी डिज़ाइन्स ने तैयार किया है. और वर्तमान संसद भवन को ब्रिटिश वास्तुविद सर एडविन लुटियंस और हरबर्ट बेकर ने किया था.
नई संसद भवन के निर्माण में 971 करोड़ होगें खर्च और लगभग 1 बर्ष में तैयार हो जायेगा जबकि वर्तमान भवन की लागत 83 लाख थी और इसे बनाने में 6 बर्ष का समय लगा था वर्तमान संसद भवन का क्षेत्रफल 47,500 वर्ग मीटर हैं जिसमें वर्तमान सदस्य भी ठीक से बैठ नही पाते हैं जबकि नये बनने वाले संसद भवन का क्षेत्रफल 64,500 वर्ग मीटर होगा जिसमें 1272 सदस्य संयुक्त रूप से बैठ सकेंगे और साथ ही पुराने संसद भवन का आकार मध्यप्रदेश के चौसठ योगिनी मंदिर पर आधारित है और नया बनने वाला भवन को भारत की संस्कृति के अनुसार त्रिभुज का काफी महत्व है। इसका जिक्र वैदिक संस्कृति में भी मिलता है, जिसके आधार पर नये भवन का निर्माण किया जा रहा है.
Kapil reports for Neo Politico Hindi.