नईदिल्ली : जब आप छोटे थे तो कभी-कभी बिना होमवर्क किए सो जाते थे न ? फिर अगले दिन क्या होता था वो आपसे अच्छा कौन जा सकता है ?
असल में बात ये है कि पहली-दूसरी कक्षा में ही फूल जैसे कोमल बच्चों को स्कूल के मैडम और सर इतना होमवर्क दे देते थे कि बच्चा बेचारा बैग के बोझ से ही थक जाता था फिर होमवर्क करने की हिम्मत भला कहां बचती थी ?
उदाहरण के लिए तेलंगाना में कक्षा 1 व 2 के बच्चों के बैग का वजन 6-12 kg तक के होते हैं | अब जैसे आप सबको इस बात की चिंता हो रही थी वैसी ही चिंता शिक्षा मंत्रालय को भी हुई उसी के लिए एक बयान आया है |
बच्चे के वजन के 10% से अधिक बैग की नो एंट्री :
सोमवार को एचआरडी मंत्रालय नें एक पत्र जारी करके कहा कि ” सभी राज्य व केन्द्रशासित प्रदेश पढ़ाने के तरीकों व स्कूल बैग के बोझ को कम करने के लिए भारत सरकार द्वारा जारी दिशानिर्देशों के तहत निर्देश को अपनाएं ” |
इसमें सबसे बड़ी बात ये कही गई है कि अब कक्षा 1 व 2 के बच्चों को होमवर्क नहीं दिया जाएगा ” |
सरकार के दिशानिर्देशों के अनुसार इन बच्चों का स्कूल बैग इनके वजन के 10% वजन लगभाग 1.5 kg से ज्यादा न हो | उन्हें केवल भाषा व गणित की किताबें ही लाने को कहा जाए इसके अलावा अन्य कोई सामग्री नहीं |
मामले के अंदर की बात क्या है :
स्कूलों में छोटे बच्चों को क्लास में लगने वाली किताबों के अलावा होमवर्क कापी, रफवर्क कापी, गाइड जैसी सामग्री लाने को कहा जाता था जिसके कारण बैग का वजन बहुत हो जाता था और इसका असर बच्चे के स्वास्थ्य पर कमर दर्द, जोड़ों में सूजन, मानसिक चिंता के रूप में दिखता था |
इन्हीं बातों को लेकर बच्चों के लिए काम कर रही संस्था “राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग” नें भारत सरकार के सामने कुछ उपाय सुझाए थे कि :
- रेफ़रेन्स बुक को कम किया जाए,
- और टाइमटेबल के अनुसार बच्चों को किताब लाने के दिशानिर्देश जारी हों |