बता दे कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने उच्च शिक्षा संस्थानों में आरक्षित पदों पर योग्य अभ्यर्थी न मिलने की स्थिति में खाली पड़े पदों पर सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों को मौका दिए जाने का प्रस्ताव रखा था, जिस पर विवाद बढ़ता देख शिक्षा मंत्रालय ने यूजीसी के सुझाव को पूर्ण रूप से खारिज कर दिया हैं। केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि केन्द्रीय शैक्षिक संस्थान (शिक्षक संवर्ग में आरक्षण) अधिनियम 2019 के लागू होने के बाद आरक्षण में अस्पष्टता की कोई भी गुंजाइश नहीं हैं। उन्होंने कहा कि एक भी आरक्षित पद को अनारक्षित नहीं किया जाएगा।
इतना ही नहीं यूजीसी अध्यक्ष एम. जगदीश कुमार ने कहा कि अतीत में भी केन्द्रीय शैक्षिक संस्थानों में आरक्षित श्रेणी के पदों पर कोई भी आरक्षण रद्द नहीं किया गया हैं और न ही भविष्य में आरक्षण को समाप्त किया जा रहा हैं। उच्च शिक्षा संस्थानों में भारत सरकार की आरक्षण नीति के कार्यान्वयन के लिए दिशा निर्देश का मसौदा 28 जनवरी तक सभी की प्रतिक्रिया के लिए सार्वजनिक डोमेन में रखा गया था।
जानिए क्या था यूजीसी ड्राफ्ट?
यूजीसी द्वारा जारी किए गए ड्राफ्ट में कहा गया कि ग्रुप सी और ग्रुप डी के मामले में डी-आरक्षण का प्रस्ताव विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद के पास जाना चाहिए और ग्रुप ए और ग्रुप बी के मामले में आवश्यक अनुमोदन के लिए पूर्ण विवरण देते हुए शिक्षा मंत्रालय को प्रस्तुत किया जाना चाहिए। अनुमोदन होने के बाद ही पद भरा जा सकता है और आरक्षण को आगे बढ़ाया जा सकता हैं। इतना ही नहीं मसौदे में यह भी कहा गया कि पदोन्नति के मामले में रिक्त आरक्षित पदों पर पर्याप्त संख्या में एससी एसटी और ओबीसी के उम्मीदवार उपलब्ध नहीं है तो ऐसी रिक्तियों को अनारक्षित किया जा सकता हैं और अन्य वर्ग के उम्मीदवारों द्वारा रिक्तियों को भरा जा सकता हैं।
कांग्रेस ने किया भ्रम फैलाने का काम
वहीं इस पूरे मामले में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने लोगों में भ्रम पैदा करते हुए बीजेपी पर युवाओं की नौकरी छीनने का आरोप लगाया हैं। कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने इस प्रस्ताव को तुरंत वापिस लेने की मांग की है, उन्होंने कहा कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी कुछ समय पहले आरक्षण की समीक्षा करने की बात कहीं थी और अब उच्च शिक्षा संस्थानों में SC-ST और OBC के आरक्षण को समाप्त करने की साजिश की जा रहीं हैं।
बता दे कि जेएनयू छात्र संघ ने भी यूजीसी के प्रस्ताव पर नाराजगी जताते हुए यूजीसी अध्यक्ष के खिलाफ प्रदर्शन करने का ऐलान किया हैं। जिसके बाद यूजीसी अध्यक्ष ने अपने स्पष्टीकरण में कहा कि शिक्षा मंत्रालय ने सभी सीईआई को 2019 अधिनियम के तहत रिक्तियों को सख्ती से भरने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी पद आरक्षित पद को अनारक्षित नहीं किया जाएगा।
Kapil reports for Neo Politico Hindi.