भोपाल- मध्यप्रदेश में इस समय पदोन्नति आरक्षण मामले में एक बड़ा झोल सामने आया है, जहां मंत्रालय और विभागों में पदोन्नति नियमों के अनुसार तय सीमा से अधिक आरक्षण दिया जा रहा हैं। जिसके चलते पिछले कुछ सालों में हजारों कर्मचारी बिना पदोन्नति के ही सेवानिवृत्त हो गए हैं।
85 फीसदी पदों पर आरक्षित वर्ग का कब्जा
पदोन्नति नियमों 2022 के अनुसार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग को पदोन्नति में 36 फीसदी आरक्षण दिया जाना था, लेकिन इसी बीच सरकार द्वारा की गई जांच पड़ताल में चौंकाने वाला खुलासा हुआ हैं।
जिसके अनुसार मंत्रालय सहित लोक निर्माण, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, जल संसाधन और ग्रामीण यांत्रिकी जैसे विभागों के 85 फीसदी पद वर्तमान में आरक्षित वर्ग के कर्मचारियों से भरें हुए है और शेष पद खाली पड़े हुए हैं।
इतना ही नहीं अगर वर्तमान समय में पदोन्नति का आंकलन किया जाए तो लगभग 3 लाख 25 हजार कर्मचारी पदोन्नति की आस में बैठे हैं, आपको बता दे कि हालत इतनी बेकार है कि पिछले 6 सालों में 70 हजार से अधिक कर्मचारी बिना पदोन्नति के ही सेवानिवृत्त हो गए हैं।
नियमों के अनुसार होना है पदोन्नति
लोकसेवा पदोन्नति नियम 2022 के अनुसार विभागों में आरक्षित वर्ग के 36 फीसदी पद भरें जाना है, जिसके हिसाब से अनुसूचित जाति के 16 फीसदी और अनुसूचित जनजाति वर्ग के 20 फीसदी पद भरें जायेगें। इसके बाद अनारक्षित वर्ग की पदोन्नति मैरिट कम सीनाॅयरिटी के आधार पर की जायेगी, जिसमें भी आरक्षित वर्ग को पहले प्राथमिकता दी जायेगी।
Kapil reports for Neo Politico Hindi.