वाराणसी (UP): प्रशासन ने कर्मकांड पर टैक्स लगाने का फैसला सन्त समाज को आग बबूला कर दिया है।
UP से संत समाज को हैरान करने वाला फरमान जारी किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक वाराणसी में गंगा घाटों पर गंगा आरती के लिए आयोजकों से सालाना तथा गंगा घाटों पर परंपरागत तरीके से पूजा पाठ कराने, धार्मिक कार्य एवं कर्मकांड कराने वाले पंडो से नगर निगम द्वारा शुल्क लिए जाने की घोषणा की गयी है।
इसके तहत कर्मकांड कराने वाले पंडों पर लगेगा टैक्स, गंगा आरती,धार्मिक आयोजन पर भी टैक्स, नगर निगम ने उपविधि 2020 की घोषणा की है। नदी किनारे रख रखाव, संरक्षण के लिए फैसला, टैक्स लगाने की घोषणा के साथ ही फैसले पर विवाद शुरु हो गया है।
तीर्थ पुरोहित समाज ने फैसले का विरोध किया है। गंगा तट पर धार्मिक आयोजन पर टैक्स लगाने के मामले में संत समाज आक्रोशित हो गया है। संत समाज का जिला प्रशासन पर जुबानी हमला भी किया गया है, अखिल संत समिति ने फैसले की आलोचना की, जितेंद्रनन्द स्वामी ने तो टैक्स को जजिया से तुलना की है। और उन्होंने कहा कि धार्मिक आयोजनों की स्वतंत्रता प्रभावित होगी।
विरोध के बाद मामले को गम्भीरता से संज्ञान में लेते हुए उत्तर प्रदेश के पर्यटन, संस्कृति एवं धर्मार्थ कार्य राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉक्टर नीलकंठ तिवारी ने कहा है कि गंगा के घाटों पर परंपरागत तरीके से पूजा पाठ, धार्मिक कार्य एवं कर्मकांड कराने वाले पंडा समाज को चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। उनसे कोई भी शुल्क नहीं लिया जाएगा। उन्होंने विशेष रूप से जोर देते हुए कहा कि गंगा के घाटों पर परंपरागत तरीके से पूजा पाठ, धार्मिक कार्य एवं कर्मकांड कराने वाले पंडा लोग अपनी इच्छानुसार इच्छुक हो तो रजिस्ट्रेशन कराएं अन्यथा इसके लिए भी कोई बाध्यता नहीं होगी।
➡धार्मिक आयोजन पर टैक्स लगाने का मामला,
➡संत और राजनैतिक दलों के विरोध का मामला,
➡मंत्री नीलकंठ तिवारी ने कमिश्नर से की फोन पर बात,
➡पंडा और पुरोहितों को चिंता न कारने का आश्वासन। pic.twitter.com/d5xmUlNhX8
— भारत समाचार (@bstvlive) July 23, 2020
कमिश्नर दीपक अग्रवाल एवं नगर आयुक्त गौरांग राठी से फोन पर वार्ता कर इसे अव्यवहारिक बताते हुए इस पर तत्काल रोक लगाए जाने हेतु कहां है। धर्मार्थ मंत्री ने कहां की काशी एक धार्मिक नगरी है, पूरी दुनिया से लोग यहां पर आकर गंगा के घाटों पर पूजन पाठ एवं धार्मिक कार्य के साथ-साथ कर्मकांड यहां के विद्वान ब्राह्मणों के द्वारा कराते हैं। ऐसी स्थिति में पण्डों से शुल्क लिया जाना कतई व्यवहारिक नही।
Donate to Falana DIkhana: यह न्यूज़ पोर्टल दिल्ली विश्विद्यालय के मीडिया छात्र अपनी ‘पॉकेट मनी’ से चला रहे है। जहां बड़े बड़े विश्विद्यालयों के छात्र वामपंथी विचारधारा के समर्थक बनते जा रहे है तो वही हमारा पोर्टल ‘राष्ट्रवाद’ को सशक्त करता है। वही दिल्ली विश्विद्यालय जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में पढ़ रहे हमारे युवा एडिटर्स देश में घट रही असामाजिक ताकतों के खिलाफ लेख लिखने से पीछे नहीं हटते बस हमें आशा है तो आपके छोटे से सहयोग की। यदि आप भी हम छात्रों को मजबूती देना चाहते है तो कम से कम 1 रूपए का सहयोग अवश्य करे। Paytm, PhonePe, Bhim UPI, Jio Money, व अन्य किसी वॉलेट से से डोनेट करने के लिए PAY NOW को दबाने के बाद अमाउंट व मोबाइल नंबर डाले फिर ‘Other’ में जाकर वॉलेट ऑप्शन चूज करे। सादर धन्यवाद, ‘जयतु भारतम’
Why Shivendra Tiwari is writing this piece?
Shivendra Tiwari is a student of journalism at the University of Delhi. Shivendra comes from a very remote village of Riwa situated in Madhya Pradesh. Shivendra’s knowledge about regional and rural politics defines his excellence over the subject. Apart from FD, he writes for ‘Academics 4 Namo’ and ‘Academics for Nation’ to express the clear picture of right-wing in the rural areas. Moreover, Tiwari Ji is from a science background and had scored more than 95% in his intermediate exams!