अमेरिका में दंगा प्रदर्शनों के खिलाफ लग सकते हैं देशद्रोह के मुकदमे

न्यूयॉर्क (US): अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड की मृत्यु के बाद भड़की हिंसा को लेकर ट्रम्प प्रशासन सख्त होता जा रहा है।

अमेरिका में अब हिंसक प्रदर्शनों पर देशद्रोह का मुकदमा चलाया जा सकता है। न्यूज एजेंसी AP के इनपुट्स के मुताबिक गुरुवार को अमेरिकी वकीलों को दिए ज्ञापन में, न्याय विभाग ने जोर देकर कहा कि अभियोजकों को उन प्रदर्शनकारियों से आक्रामक रूप से पेश आना चाहिए जो हिंसा का कारण बनते हैं और यहां तक ​​कि राजद्रोह के आरोप संभावित रूप से लागू हो सकते हैं।

ज्ञापन में कहा गया है कि राष्ट्रद्रोह क़ानून को सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए किसी षड्यंत्र के प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती है, इसका उपयोग तब किया जा सकता है जब कोई प्रतिवादी बलपूर्वक सरकार के अधिकार का विरोध करने की कोशिश करता है।

अटॉर्नी जनरल विलियम बार अपने अमेरिकी वकीलों को विरोध-संबंधी हिंसा में देशद्रोही आरोपों को लाने के लिए कोशिश कर रहे हैं। राष्ट्रीय अपराध सिद्धि के परिणामस्वरूप अक्सर जेल की सजा होती है; अकेले देशद्रोह के मामले में 20 साल तक की सजा हो सकती है।

ट्रम्प प्रशासन की विरोध हिंसा पर रोक के कारण जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद विरोध प्रदर्शनों में राष्ट्रीय अपराधों पर 300 से अधिक गिरफ्तारियां हो चुकी हैं। जहां कई लोगों पर हिंसक अपराधों जैसे मोलोटोव कॉकटेल को आग लगाने और पुलिस कारों को जलाने और सुरक्षा बलों को घायल करने के लिए हमला करने का आरोप लगाया गया है।

गौरतलब है कि अमेरिका में अगस्त के अंतिम दिनों में आरोपों के मुताबिक पुलिस ने 29 साल के अश्वेत जैकब ब्लेक को गोली मार दी थी। जिसके विरोध में हिंसा भड़क उठी। इससे पहले मई में मिनिएसोटा में अश्वेत जॉर्ज फ्लायड की हत्या के बाद भी पूरे अमेरिका में विरोध प्रदर्शन हुए थे। उस समय स्थिति इतनी गंभीर हो गई थी कि वॉशिंगटन में वाइट हाउस के बाहर विरोध प्रदर्शन के हिंसक होने के बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को सीक्रेट बंकर में जाना पड़ा था।


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