हजारीबाग: झारखंड के हजारीबाग के दारु प्रखंड क्षेत्र में धर्मांतरण का खेल जोरों से चल रहा है। यहां डेढ़ साल में 200 आदिवासियों का मतांतरण कराया जा चुका है।
गरीबी और पिछड़ेपन हजारीबाग के इस इलाके की पहचान है। आरोप के मुताबिक इसी का लाभ उठाकर मिशनरी संस्थाएं यहां धर्मांतरण कराती हैं। यहां जंगल में एक कॉन्वेंट स्कूल खोला गया है। जहाँ ईसाई मिशनरियों ने शिक्षा एवं स्वास्थ्य सुविधाओं का प्रलोभन देकर डेढ़ साल में 200 आदिवासियों का मतांतरण कराया है।
ग्रामीणों के अनुसार लोगों को मिशन विद्यालय पिपचो में बनी एक पानी टंकी में तीन बार डुबोकर हिंदू धर्म छोड़ने की कसम दी जाती है। स्थानीय लोगों ने बताया कि दारू थाना से मात्र 100 मीटर की दूरी पर स्थित मिशन स्कूल पिपचो को केंद्र बनाकर ईसाई मिशनरी के लोग वर्षों से मतातंरण का खेल चला रहे हैं।
धर्मांतरण कार्यक्रम में प्रतिबंधित मांस परोसने की थी तैयारी-
14 अगस्त स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर हजारीबाग जिले के 2000 की आबादी वाले बटूका गांव में धर्मांतरण का कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम की भनक लगते ही विहिप और बजरंग दल के कार्यकर्ता पुलिस को लेकर पहुंच गए। जिले के बटूका गांव में धर्मांतरण के कार्यक्रम में प्रतिबंधित मांस परोसने की तैयारी थी। लेकिन विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल के लोगों को इसकी सूचना मिल गई। इसके बाद मौके पर जमकर बवाल मचा। पुलिस ने इस सिलसिले में कार्रवाई करते हुए 4 लोगों को गिरफ्तार कर लिया था।
प्रखंड की दिग्वार पंचायत के चानो खुर्द, अककुंबा, बंधु टोला, पिपरा टोला, झरना आदि जगहों से अब तक दर्जनों परिवार के सैकड़ों लोगों का मतांतरण हिंदू से ईसाई में किया गया है। जागरण की रिपोर्ट के मुताबिक़ दिग्वार पंचायत के चानो खुर्द निवासी बादल मरांडी पिता कर्मा मरांडी ने बताया कि कुछ दिन पहले उसकी बेटी की तबीयत खराब हो गई थी। पैसे की कमी के कारण इलाज में परेशानी आ रही थी। मिशनरी के लोगों ने इलाज के नाम पर मदद की और ईसाई बनने क लिए कहा। 18 माह पूर्व वह पूरे परिवार सहित ईसाई धर्म से जुड़ गए।
इसका कार्यक्रम मिशन स्कूल पिपचो में हुआ था। उस समय अलग-अलग जगहों से आए करीब 200 लोगों का मतांतरण कराया गया था। उसी आयोजन में मोहन मरांडी, अनिल मुर्मू, पिपरा टोली से किशुन मांझी, बंधु टोला से महेश हेम्ब्रम, आकाकुंबा से बनी सोरेन, छोटेलाल सोरेन, कामेश्वर सोरेन सहित कुल 200 लोगों ने ईसाई धर्म अपनाया। इन लोगों का कहना है कि उनके बच्चों को विद्यालय में आवासीय सुविधा और बच्चों के लालन-पालन का खर्च मिशनरी द्वारा उठाया जाता है। विद्यालय के बीच में बनी एक पानी से भरी टंकी में तीन बार डुबोकर हिंदू धर्म छोड़ने की कसम दी जाती है।
वहीं इस विषय में बात करने पर मिशन विद्यालय के प्राचार्य ने आरोपों से इंकार किया। पिपचो मिशन विद्यालय के प्राचार्य जॉय कुमार ने कहा कि परिसर में स्कूल और चर्च दोनों हैं। यहां किसी प्रकार का मतांतरण नहीं होता है। अगर कोई भी ऐसा कह रहा है, तो वह बेबुनियाद है। चर्च में लोग प्रत्येक रविवार को पूजा करने आते हैं। यहां मतांतरण से जुड़ा कोई कार्य नहीं किया जाता है।
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