बेंगलुरु: भाजपा शासित कर्नाटक सरकार ने तमिलनाडु और केरल के नक्शेकदम पर चलने से इनकार करते हुए, गैर-ब्राह्मणों को मंदिर के पुजारी के रूप में नियुक्त करने के किसी भी प्रस्ताव को स्पष्ट रूप से अस्वीकार कर दिया है।
कर्नाटक सरकार ने सोमवार को मंदिर के पुजारी के रूप में गैर-ब्राह्मणों को नियुक्त करने के किसी भी प्रस्ताव को स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया।
मुजराई कोटा मंत्री श्रीनिवास पुजारी के मुताबिक कर्नाटक सरकार की मंदिरों में पुजारी के रूप में गैर-ब्राह्मणों को नियुक्त करने के लिए कानून लाने की कोई योजना नहीं है।
कर्नाटक विधानसभा में कांग्रेस विधायक आरबी तिम्मापुर द्वारा उठाए गए एक सवाल के जवाब में, कर्नाटक के मुजराई मंत्री ने कहा कि कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थानों और धर्मार्थ बंदोबस्ती 2002 की धारा 12 (1) के अनुसार मंदिर के पुजारी और कर्मचारियों की नियुक्ति जारी रहेगी।
तमिलनाडु में गैर ब्राह्मणों को पुजारी कर्म की ट्रेेेनिंग
तमिल नाडु की एमके स्टालिन सरकार ने पिछले दिनों ही प्रदेश में हिंदू मंदिरों में गैर ब्राह्मण पुजारियों की नियुक्ति करने का आदेश दिया था।
हिंदू रिलिजियस एंड चेरिटेबल इंडोमेंट डिपार्टमेंट ( HR & CE) मंत्रालय के अंतर्गत 200 गैर ब्राह्मण परिवारों की नियुक्ति राज्य के हिंदू मंदिरों में आगामी 100 दिनों में की जाएगी।
गैर ब्राह्मण लोगों को तमिलनाडु की स्टालिन सरकार “शैव अर्चक” नामक कोर्स करवाएगी जिसके अंतर्गत 100 दिन के कोर्स में गैर ब्राह्मण लोगों को पुजारी कर्म की ट्रेनिंग दी जाएगी।
इसके अलावा स्टालिन सरकार और महिलाओं को भी पुजारी बनने की ट्रेनिंग देगी जो कि मंदिरों में पुजारी कर्म करने की इच्छुक हैं। मंत्री वीके शेखर का कहना था कि कि जिस तरह सभी हिंदू पुजारी बन सकते हैं तो वहीं महिलाएं भी पुजारी बन सकती हैं।