नईदिल्ली: दिल्ली में किसान आंदोलन कारियों ने कांग्रेस सांसद रवनीत सिंह बिट्टू को रविवार को राष्ट्रीय राजधानी में सिंघू सीमा पर किसानों द्वारा विरोध प्रदर्शन करते हुए कथित रूप से घेर लिया गया था।
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, किसानों ने दिल्ली में कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों ने कांग्रेस नेता को विरोध प्रदर्शन में शामिल होने से रोका गया। आंदोलनकारी किसानों ने लुधियाना सांसद बिट्टू को विरोध स्थल छोड़ने के लिए कहा।
प्लानिंग कर हमला:
बिट्टू ने कहा, ‘आप झंडे उठाकर खालिस्तान के नारे लगाओ, फिर भी हम भागने वाले नहीं है। पहले भी शहादत दी है, हम पर बड़ी प्लानिंग के तहत हमला किया गया है, मारने की प्लानिंग थी। हम लोगों पर कातिलाना हमला किया गया है, हमारी पगड़ी पर हमला किया गया लाठी से हमला हुआ। हम जाने वाले नहीं है, कुछ लोग हैं, इनसे सरकार और एजेंसी निपट लेंगी। 26 जनवरी को जो होना था वो आज ही एक्सपोज हो गया, उनके हाथ में झंडे थे, वो किसानों के झंडे नहीं थे।’
खालिस्तानी झंडे ले जाने के लिए दिया गया 1 करोड़ 80 लाख रुपये
कांग्रेस सांसद रवनीत बिट्टू ने कहा कि “पहले से ही इस बात को उठा रहा हूं। किसान आंदोलन में खालिस्तानी झंडों के साथ उपद्रवी तत्व मौजूद हैं, लेकिन किसान नेता उन लोगों की पहचान के लिए क्या कर सकते हैं? उपद्रवी लोगों को किसान आंदोलन स्थल पर खालिस्तानी झंडा लहराने और फहराने के लिए 1 करोड़ से 80 लाख तक के ऑफर दिए जा रहे हैं। वैसे भी मैं एक टारगेट हूं।
पंजाब और हरियाणा के किसान कई हफ्तों से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं, कृषि कानूनों को रद्द करने और फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं। उनका दावा है कि नए कानून एमएसपी प्रणाली को कमजोर करेंगे। लेकिन केंद्र का कहना है कि एमएसपी प्रणाली बनी रहेगी और नए कानून केवल किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए अधिक विकल्प प्रदान करते हैं। सरकार और किसान यूनियनों के बीच वार्ता का दौर अब तक गतिरोध को तोड़ने में विफल रहा है, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने एक नियुक्ति की है मुद्दे के समाधान के लिए पैनल।