मुंबई: बीजेपी की वरिष्ठ नेता और विधान परिषद सदस्य पंकजा मुंडे ने हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में महाराष्ट्र की राजनीति को लेकर अपना स्पष्ट दृष्टिकोण साझा किया। उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा महाराष्ट्र में दिए गए ‘बटेंगे तो कटेंगे’ नारे से असहमति जताते हुए कहा कि इस तरह के नारे महाराष्ट्र की राजनीति के लिए उपयुक्त नहीं हैं। पंकजा का मानना है कि राजनीति का असल उद्देश्य समाज को बांटना नहीं बल्कि विकास पर ध्यान केंद्रित करना होना चाहिए।
“मेरी राजनीति का उद्देश्य विकास है, न कि विभाजनकारी नारे”
पंकजा मुंडे ने कहा कि उनकी राजनीति विकास पर आधारित है, और वे केवल पार्टी से जुड़ी होने के कारण किसी भी बात का समर्थन नहीं करेंगी। उन्होंने कहा, “मेरी राजनीति अलग है। मैं इसे केवल इसलिए समर्थन नहीं करूंगी कि मैं उसी पार्टी से हूं। मेरा मानना है कि नेता का काम है हर नागरिक को अपना मानना और समाज में समरसता लाना। इसलिए, महाराष्ट्र में ऐसे नारे की जरूरत नहीं है।” उनका मानना है कि महाराष्ट्र की राजनीति में विकास और सबको साथ लेकर चलना ही मुख्य उद्देश्य होना चाहिए।
“योगी आदित्यनाथ ने इस नारे का इस्तेमाल एक अलग संदर्भ में किया था”
पंकजा ने यह भी स्पष्ट किया कि योगी आदित्यनाथ ने ‘बटेंगे तो कटेंगे’ का नारा उत्तर प्रदेश के राजनीतिक संदर्भ में कहा था, जो महाराष्ट्र की परिस्थितियों से मेल नहीं खाता। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सभी के साथ न्याय किया है, चाहे वह राशन वितरण हो, आवास हो या गैस सिलेंडर की योजना, उन्होंने धर्म और जाति को देखे बिना सभी को लाभ पहुंचाया है। पंकजा के अनुसार, महाराष्ट्र में इस नारे की कोई जगह नहीं है, क्योंकि यहाँ की राजनीति सामंजस्य और विकास पर आधारित है।
“बीजेपी का मजबूत ओबीसी चेहरा हैं पंकजा मुंडे, परली में एनसीपी उम्मीदवार को दिया समर्थन”
पंकजा मुंडे को उनके समर्थकों का मानना है कि मोदी-शाह युग में उनकी भूमिका पार्टी में सीमित हो गई है। गोपीनाथ मुंडे की बेटी और महाराष्ट्र में एक मजबूत ओबीसी नेता होने के बावजूद, पार्टी ने उन्हें हाल के लोकसभा चुनावों में अनमने ढंग से चुनाव लड़ने के बाद संतुष्ट करने के लिए एमएलसी का पद दिया है। इस बार परली विधानसभा सीट एनसीपी के कोटे में आई है, और वहां से उनके चचेरे भाई धनंजय मुंडे को टिकट मिला है। पंकजा ने अपने कार्यकर्ताओं से अपील की है कि वे परली में एनसीपी के ‘घड़ी’ चुनाव चिन्ह का समर्थन करें और उसे बीजेपी के ‘कमल’ की तरह मानें। इस तरह, पंकजा मुंडे ने स्पष्ट किया कि उनकी राजनीति विकास पर आधारित है और विभाजनकारी नारों का वे समर्थन नहीं करतीं।