छतरपुर– भगवान श्री बाला जी महाराज का सुप्रसिद्ध बागेश्वर धाम छतरपुर जिले के ग्राम गढ़ा में स्थित हैं। जहां भगवान श्री बाला जी महाराज और महान संत सन्यासी बाबा के प्रति बुंदेलखंड अंचल के लोगों के मन में इतनी विशेष श्रद्धा और भक्ति भाव है कि रोज लाखों भक्तगण यहां दर्शन की आस में पहुंचते हैं।
बिना किसी पुष्टि के मीडिया फैला रहा भ्रम
मीडिया जगत के जाने माने संस्थानों द्वारा इस समय सोशलमीडिया पर एक वीडियो क्लिप जमकर वायरल किया जा रहा हैं। जिसमें धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री एक व्यक्ति को अपने पैर छूने से मना करते दिख रहे है, और खुद को अछूत बता रहे हैं।
फिर क्या था इसी अवसर की तलाश में बैठे ब्राह्मण और सनातन धर्म विरोधियों ने बिना किसी ठोस प्रमाण के उनके ऊपर छुआछूत जैसे अनेकानेक आरोप लगाना शुरू कर दिये हैं।
वहीं वायरल वीडियो के आधार पर कुछ लोगों ने उन्हें जातिवादी मानसिकता तो कुछ ने उन्हें दलित विरोधी होने का राग आलपना शुरू कर दिया। इतना ही नही कुछ तथाकथित दलित शुभचिंतकों ने तो ट्विटर पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा को टैग कर के उनकों जेल में डालने तक की बात कह डाली।
एफडी टीम ने की तथ्यों की जांच
इस वायरल वीडियो के मामले में जब हमारी टीम द्वारा तथ्यों की जांच की गई तो सामने आया कि बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री पर लगाये जा रहे सभी आरोप झूठे है। वह स्वयं एक सन्यासी पीठाधीश्वर के रूप में अपना जीवन व्यतीत कर रहे है, यही कारण है कि वह अपने आपको किसी के भी संपर्क में आने से परहेज करते हैं।
पिछले दिनों सागर जिले के बीना में हुई रामकथा के आयोजन में हमने खुद अनुभव किया कि बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री बिना किसी जातिगत भेदभाव के खुद को छूने से मना करते है न कि किसी वर्ग विशेष को देखकर ऐसा बोलते हैं।
इतना ही नही जब हमने धाम जाकर लौटे कुछ लोगों से भी इस बारे में पूछताछ की तो उनका कहना था कि ऐसा कुछ भी नही है, उन लोगों का कहना था कि बागेश्वर धाम और पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री द्वारा बिना किसी जातिगत भेदभाव के अपने सभी भक्तों को चरण छूने से मना करते हैं।
आदिवासी क्षेत्रों में करेगें रामकथा
बीना में चल रही श्री रामकथा के दौरान उन्होंने कहा था कि वह बहुत जल्द सनातन धर्म और सनातन संस्कृति के प्रचार प्रसार के लिएलिए भारत देश के विभिन्न क्षेत्रों जहां जहां अनुसूचित जाति और आदिवासी बहुल क्षेत्र है वहां तीन दिवसीय रामकथा का आयोजन करेगें।
इतना ही नही उन्होंने कहा कि वह संपूर्ण भारत में अगले 5 साल में 60 से अधिक ऐसे ही क्षेत्रों में श्री रामकथा का आयोजन करेगें और आयोजन में यजमान और मंच पर आरती में आदिवासी महिलाओं, पुरूषों और बच्चों को ही स्थान दिया जाएगा।
Kapil reports for Neo Politico Hindi.