मोदी सरकार ने विधि आयोग से यूनिफॉर्म सिविल कोड पर सिफारिश करने को कहा

नई दिल्ली: भारत सरकार के विधि और न्याय मंत्रालय ने संसद में जानकारी दी है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड के मामले में किसी निश्चित समय – सीमा का निर्धारित किया जाना संभव नहीं होगा।

05 अगस्त को इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के राज्यसभा सदस्य अब्दुल वहाब द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में राज्यसभा में विधि एवं कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 44 यह उपबंधित करता है कि राज्य, भारत के समस्त राज्यक्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान सिविल संहिता प्राप्त कराने का प्रयास करेगा।

आगे मंत्री ने कहा कि विषयवस्तु की महत्ता और उसमें निहित संवेदनशीलता और विभिन्न समुदायों को प्रशासित करने वाली विभिन्न स्वीय विधियों के उपबंधों के गहन अध्ययन की अपेक्षा को भी ध्यान में रखते हुए, सरकार ने भारत के विधि आयोग से समान सिविल संहिता से संबंधित विभिन्न मुद्दों की जांच करने और उस पर सिफारिश करने का अनुरोध किया है।

अंत में इसी मुद्दे से जुड़े सवाल के जवाब में मंत्री ने बताया कि मामले में किसी निश्चित समय – सीमा का निर्धारित किया जाना संभव नहीं होगा।

Written Statment of Law and Justice Minister in Rajyasabha

यूनिफॉर्म सिविल कोड लाने के लिए प्रतिबद्ध है सरकार: तत्कालीन कानून मंत्री

सितम्बर 2020 में तत्कालीन कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा सांसद दुष्यंत सिंह के सवाल “क्या सरकार की इस वर्ष यूनिफॉर्म सिविल कोड पर एक विधेयक लाने की योजना है ?”, के एक लिखित जवाब में कहा था, “भारत के संविधान का अनुच्छेद 44 बताता है कि राज्य नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता के लिए सुरक्षित करने का प्रयास करेगा। सरकार इस संवैधानिक जनादेश का सम्मान करने के लिए प्रतिबद्ध है। हालांकि, इसके लिए व्यापक पैमाने पर परामर्श की आवश्यकता है।”

एक अन्य सवाल के जवाब में, तत्कालीन कानून मंत्री ने कहा था कि सरकार यूनिफ़ॉर्म कोड के तहत कुछ धर्मों को दिए गए अल्पसंख्यक दर्जे को खत्म करने की योजना नहीं बना रही है।

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