भोपाल: मध्य प्रदेश में अनुसूचित जाति व जनजाति के विरुद्ध होने वाले अपराधों की रोकथाम व उपायों की समीक्षा बैठक में सूबे के राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा कि सभी वर्गों के बीच आपसी समरसता को बढ़ाने के लिए पुलिस को कार्य करना चाहिए। उन्होंने इसके लिए समरसता शिविर का आयोजन करने का भी सुझाव दिया है। । चिन्हित क्षेत्रों के नागरिको के साथ जीवंत संवाद कायम करें। अपराध नियंत्रण के प्रभावी प्रयासों के लिए आपराधिक सोच में सुधार जरूरी है। राज्यपाल ने यह बाते अनुसूचित जाति व जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम की समीक्षा बैठक के दौरान अधिकारियों से कही।
बेकसूर न हो परेशान
जहां आपसी समरसता पर राज्यपाल ने जोर दिया तो वहीं गलत फसाये गए निर्दोष को भी न परेशान करने की भी बाते राज्यपाल की ओर से कही गई है। उन्होंने कहा कि बिना वजह बेकसूर लोगो को न परेशान किया जाये। मंगुभाई पटेल ने आगे कहा कि ऐसे दर्जनों गाँव है जहां एक भी अत्याचार के मामले दर्ज नहीं है ऐसे गाँवों के उदहारण इन शिविरों में देने की आवश्यकता है।
एक वर्ष में दिया 129 करोड़ से अधिक मुआवजा
अपर महानिदेशक अजाक श्री राजेश गुप्ता ने बताया कि बीते एक वर्ष में दलित वर्ग द्वारा पंजीबद्ध 7,413 प्रकरणों में 100 करोड़ 44 लाख रुपये और जनजाति के 2,667 प्रकरणों में 28 करोड़ 80 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी गई है। जोकि करीब 129 करोड़ से अधिक हो जाती है। साथ ही प्रत्येक अजाक थाना को एक-एक वीडियो कैमरा भी दिया गया है।
एससी एसटी एक्ट में हत्या व बलात्संग की घटना होने पर मिलती है नौकरी व 8 लाख मुआवजा
एससी एसटी एक्ट के तहत व एमपी पुलिस के मुताबिक एससी एसटी एक्ट में किसी भी अनुसूचित जाति व जनजाति के व्यक्ति की हत्या व बलात्कार की घटना होने पर 8 लाख रूपए मुआवजे के साथ एक सदस्य को रोजगार देने का भी प्रावधान है।
साथ ही कृषि भूमि, घर, व तीन माह का राशन भी उपलब्ध कराया जाता है। इसी के साथ किसी भी अनुसूचित जाति व जनजाति के व्यक्ति को साक्ष्य देने के लिए बुलाये जाने पर मजदूरी भत्ता, किराया, राशन भत्ता व ठहरने के लिए होटल का भी किराया सरकार की ओर से उपलब्ध कराया जाता है।
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