श्रीनगर: जम्मू कश्मीर की राजधानी श्रीनगर के मेयर जुनैद अजीम मट्टू ने श्रीनगर में चरमपंथियों द्वारा नष्ट किए गए मंदिरों के पुनर्निर्माण को लेकर बड़ी घोषणा की है।
मट्टू ने कहा है कि श्रीनगर में जो भी मंदिर चरमपंथियों द्वारा तोड़े गए हैं, या जिन भी मंदिरों को मरम्मत की जरूरत होगी। उन सब मंदिरों का पुनर्निर्माण होगा।
दरअसल ट्विटर पर मेयर जुनैद अजीम मट्टू ने वसंत पंचमी पर 31 साल बाद श्रीनगर स्थित शीतल नाथ मंदिर खुलने की तस्वीरें साझा करते हुए कहा था कि ”आज हब्बा कदल स्थित शीतल नाथ मंदिर गया था। ये मंदिर दोबारा से खोला गया है। इसमें 31 साल बाद पहली बार पूजा हो रही है। इस दौरान मंदिर प्रशासन और श्रद्धालुओं से भी बातचीत की, श्रीनगर नगर निगम को इस मंदिर की ऐतिहासिकता को बचाए रखते हुए मरम्मत और पुननिर्माण के लिए निर्देश दिए हैं।”
इस बयान के बाद इसी ट्वीट के नीचे एक यूजर ने मेयर जुनैद अजीम मट्टू से अनुरोध कर कहा कि “कृपया उग्रवाद के समय तोड़े गए मंदिरों के मरम्मत की तरफ भी काम करें”।
तो प्रश्न का का जवाब देते हुए जुनैद ने कहा ”श्रीनगर में जिस किसी मंदिर को रिपेयरिंग की जरूरत होगी या पुनर्निर्माण की जरूरत होगी, उन सभी मंदिरों को श्रीनगर नगर निगम द्वारा बनवाया जाएगा, ये मेरी निजी गारंटी है। इसी साल कम से कम 30 मंदिरों की मरम्मत और पुनर्निर्माण का काम शुरू कर दिया जाएगा।”
31 साल मंदिर में गूंजे घन्टे:
बता दें कि इसके पहले जम्मू और कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर के हब्बा कदल इलाके में शीतल नाथ मंदिर बीते बसंत पंचमी के अवसर पर 31 साल में दूसरी बार फिर से खुल गया।
इस मौके पर एक भक्त ने बताया कि, “मंदिर को हिंदुओं के बहिष्कार व आतंकवाद के कारण बंद कर दिया गया था। आज, हमने यहां पूजा करने का फैसला किया।” एक भक्त ने कहा कि “हमारे पूर्वज स्वामी विद्याधर ने मंदिर में हवन यज्ञ की शुरुआत की थी। आज हम हवन कर रहे हैं 31 साल से कभी नहीं हुआ, बहुत खुशी हो रही है माहौल बदल रहा है हम पूजा कर रहे हैं।”
इकट्ठा हुए प्रवासी कश्मीरी पंडित:
श्रीनगर स्थित शीतलनाथ मंदिर में पूजा के आयोजकों में से एक, रविंदर राजदान कहते हैं, “स्थानीय मुस्लिमों ने आज भी इस पूजा को आयोजित करने में हमारी मदद की। उन्होंने पूजा के सामान लाए और मंदिर को साफ करने में हमारी मदद की।”
मन्दिर के ट्रस्टी ने कहा कि बसंत पंचमी के अवसर पर शीतल नाथ मंदिर में मंगलवार को विशेष पूजा की गई। बता दें कि फरवरी 2021 से पहले जनवरी 2010 में (20 साल का अंतराल) भी वसंत पंचमी के अवसर पर मंदिर को खोला गया था। प्रवासी कश्मीरी पंडितों ने श्रीनगर शहर के पुराने हिस्से में क्राल खुद इलाके में शीतल नाथ मंदिर में इकट्ठा होकर पूजा की। मंदिर के ट्रस्टी उपेंद्र हांडू ने कहा, “90 के दशक की शुरुआत में कश्मीरी पंडितों के घाटी से पलायन करने के बाद पहली बार बसंत पंचमी के मौके पर पूजा की।”
उन्होंने कहा कि यह श्रीनगर का एकमात्र मंदिर है जहां बसंत पंचमी के अवसर पर पूजा होती थी। यह मंदिर हमारे लिए बहुत खास है। हम 2010 से सरकार से इसकी बहाली के लिए कह रहे हैं, लेकिन अभी तक ऐसा कुछ नहीं हुआ है। हमने 2010 में और फिर 2018 में श्रीनगर में उपायुक्त कार्यालय से मदद मांगी थी। लेकिन प्रशासन ने हमारे अनुरोधों पर कोई ध्यान नहीं दिया है। उन्होंने कहा कि कश्मीर में COVID-19 और सर्द मौसम के कारण प्रवासी कश्मीरी पंडित कम संख्या में पूजा में शामिल हो पाए।