पटना: बिहार में आने वाले चुनावों में हो रही उठापटक के बीच JDU BJP व HAM पार्टी के गठबंधन ने मिलकर दलितों को अपने पाले में लाने को मास्टर्स स्ट्रोक खेल दिया है।
शुक्रवार को मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित हुई अनुसूचित जाति व जनजाति अधिनियम 1995 के तहत गठित राज्य स्तरीय सतर्कता व मोनिटिरिंग सिमिति की बैठक में सीएम नितीश कुमार के एक फैसले ने सबको चौका दिया।
उन्होंने अधिकारियो को आदेश दिया कि अगर एससी एसटी समुदाय से किसी की भी हत्या होती है तो उसके परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने के लिए तत्काल नियम बनाये जाये। इसके मुताबिक सरकार किसी भी एससी एसटी की हत्या होने पर उसके परिजन को सरकारी नौकरी देगी।
अधिकारियो के मुताबिक यह नियम चुनाव से पहले बनकर प्रभाव में आ जायेंगे। जिससे दलितों व आदिवासियों के परिवार में से अगर किसी की भी हत्या होती है तो उनके एक सदस्य को सरकार नौकरी देगी।
इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने अधिकारियो से कहा कि एससी एसटी एक्ट में लंबित सभी मामलो को 20 सितम्बर तक किसी भी हाल में निपटा लिया जाए व जो अधिकारी निष्पादन में गंभीरता न दिखाए उनपर कार्यवाई करे।
एससी एसटी को दी जाएँगी जमीने
नौकरी के अलावा सरकार जिन अनुसूचित जाति व जनजाति के लोगो पर जमीने नहीं है उन्हें जमीन व मुफ्त आवास भी उपलब्ध कराएगी। इस परियोजना को सिर्फ एससी एसटी तक सीमित किया गया है। इसके तहत अलग से बजट भी आवंटित किया गया है।
दलितों को रिझाने में लगी है भाजपा व JDU
हाल ही में महागठबंधन का साथ छोड़कर NDA में शामिल हुए जीतन राम मांझी को महा दलितों के वोट NDA की झोली में डालने के लिए बेहद अहम माना जा रहा है।
वहीं JDU व BJP सरकार अपने स्तर से परियोजनाएं चलाकर दलितों के वोट लेना चाह रही है। हालाँकि अब देखना यह होगा कि एक समाज के लिए सिर्फ चल रहे इन उत्थान कार्यो को ओबीसी व सवर्ण किस नजरिये से लेते है। क्यूंकि सरकार एक ही प्रदेश में हत्याओं को भी वर्ग के हिसाब से लाभ देने में जुटी है।
ज्ञात होकि इससे पहले एससी एसटी एक्ट पहले से ही हमेशा से सरकार के गले की हड्डी बना पड़ा है।
वहीं मीटिंग में सीएम के साथ उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी, जीतन राम मांझी व अन्य नेताओ के साथ पुलिस महानिदेशक गुप्तेश्वर पांडेय भी मौजूद थे।
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