‘FSL रिपोर्ट में रेप की पुष्टि नहीं, जातीय तनाव बनाने के लिए फ़र्जी तथ्य फैलाने वालों पर होगा एक्शन’- ADG

हाथरस (UP):  हाथरस केस में FSL की रिपोर्ट मीडिया के विरुद्ध जाती हुई मिली है।

उत्तर प्रदेश के हाथरस वाले केस में फ़लाना दिखाना की रिपोर्ट पर फिर मुहर लगी है जिसमें हमनें बताया था कि पीड़िता के साथ रेप नहीं हुआ है। अब खुद यूपी पुलिस के अपर पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने FSL की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा है कि महिला के साथ रेप या गैंगरेप नहीं हुआ था।

एडीजी ने इसके साथ ही कहा है कि पूरे मामले में जिन लोगों ने प्रदेश में मामले में गलत तथ्य और भ्रम फैलाकर सामाजिक सौहार्द खराब करने और जातीय हिंसा भड़काने की कोशिश की है, उन्हें अब चिन्हित किया जाएगा और सख्त कार्रवाई की जाएगी।
एफएसएल रिपोर्ट में रेप की पुष्टि नहीं, स्पष्ट है साजिश की गई।

यूपी के एडीजी (कानून व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने एक प्रेस ब्रीफ़ में घटना की मेडिकल सच्चाई सामने लाते हुए कहा कि “दिल्ली के पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में मृत्यु का कारण गले में चोट और उसके बाद के ट्रॉमाको कारण बताया गया है। इस बीच FSL की भी रिपोर्ट मिल गई है, जिसमें ये स्पष्ट रूप से बताया गया है कि जो सैंपल इकट्ठा किए गए थे, उसमें किसी प्रकार का स्पर्म और शुक्राणु नहीं पाया गया है। इससे स्पष्ट होता है कि कुछ लोगों द्वारा प्रदेश में गलत तरीके से जातीय तनाव पैदा करने के लिए इस तरह की चीजें कराई गईं। पुलिस ने शुरू से इसमें त्वरित और तत्समय कार्रवाई की है। इसमें आगे अब ऐसे लोगों की पहचान की जाएगी, जो प्रदेश के सामाजिक सद्भाव को बिगाड़ना और जातीय हिंसा भड़काना चाहते थे. यही नहीं जवाबदेह अधिकारियों के कहने के बावजूद अपने तरीके से चीजों को मीडिया में गलत तथ्यों के आधार पर मोड़ना चाहते थे।”

आगे ADG बोले “इस पूरे प्रकरण की संवेदनशीलता को देखते हुए मुख्यमंत्री ने खुद एसआईटी का गठन किया था। उसमें गृह सचिव स्तर, डीआईजी और महिला एसपी स्तर की अधिकारी शामिल हैं। ये बताया गया था कि इसमें जिसकी भी गलती होगी उसे बख्शा नहीं जाएगा।”

इसके बाद उन्होंने मेडिकल रिपोर्ट पूर्व अफवाहों पर सख्ती दिखाते हुए कहा “मेडिकल रिपोर्ट आने के पूर्व ही गलत बयानबाजी और शासन और पुलिस के द्वारा किए गए कार्यों पर उंगली उठाकर विभाग को बदनाम करने की कोशिश की गई। इसका भी हम परीक्षण कराएंगे और देखेंगे कि ऐसे कौन लोग हैं? एडीजी ने कहा कि ये गंभीर मामला है, शासन और पुलिस विभाग महिला और बच्चों के खिलाफ अपराधों को लेकर सजग है। यही कारण है कि महिला संबंधी अपराध में सजा का जो दर है, उसमें यूपी नंबर वन है.
एफएसएल रिपोर्ट से साफ- कोई रेप या गैंगरेप नहीं
एडीजी ने कहा कि एफएसएल की रिपोर्ट आने के बाद से ये स्पष्ट हो गया है कि पीड़िता के साथ कोई रेप या गैंगरेप नहीं हुआ था। पहले उन्होंने खुद मारपीट की बात बताई थी और गला दबाने के कारण इंजरी हुई थी।

बता दें कि हाथरस केस में हमनें रिपोर्ट के माध्यम से दूसरा पक्ष भी सामने रखा है कि जिसमें कई लोगों ने इसे साजिश बताया है। हालांकि ग्रामीणों को विश्वास है कि SIT तो मामले में दूध का दूध पानी का पानी कर देगा।


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