नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के हिन्दू उत्तराधिकार एक्ट में फैसले पर बहस शुरू हो गई है।
आज सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण फैसले के अनुसार एक महिला एक बेटी के रूप में पारिवारिक संपत्ति में बराबर का हिस्सा होने का दावा कर सकती है।
हालांकि इस फैसले पर बहस भी शुरू हो गई है। जिसमें सेना के पूर्व मेजर सुरेंद्र पूनिया ने एक्ट को अन्य धर्मों में भी लागू करने की माँग की है।
मेजर पूनिया ने कहा कि “स्वागत योग्य फ़ैसला
सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 2005 को संशोधित करते हुये कहा है कि बेटियों का पैतृक संपत्ति पर बेटों के बराबर अधिकार होगा लेकिन हमारी मुस्लिम बहन-बेटियों को पैतृक संपत्ति में बराबर का हक़ क्यों नहीं ? वो भी इसी देश की बेटी हैं। सब चुप क्यों हैं ?”
स्वागत योग्य फ़ैसला
सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 2005 को संशोधित करते हुये कहा है कि बेटियों का पैतृक संपत्ति पर बेटों के बराबर अधिकार होगा
लेकिन हमारी मुस्लिम बहन-बेटियों को पैतृक संपत्ति में बराबर का हक़ क्यों नहीं ? वो भी इसी देश की बेटी हैं !
सब चुप क्यों हैं ?— Major Surendra Poonia (@MajorPoonia) August 11, 2020
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने आज दोहराया कि यह हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम एक पूर्व व्यापी प्रभाव हो सकता है। ये उस एक्ट के तहत है जो 2005 में संशोधित किया गया था ताकि महिलाओं को समान विरासत अधिकार प्रदान किया जा सके।
जस्टिस अरुण कुमार मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने आज कहा, “एक बार एक बेटी, हमेशा एक बेटी पर एक बेटा जब तक उसका विवाह नहीं होता है तब तक बेटा, तब तक बेटी एक उत्तराधिकारी बनी रहेगी। जीवन भर अविभाजित संयुक्त परिवार की संपत्ति की विरासत में, भले ही उसके पिता जीवित हों या नहीं।
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