बदायूं के दलित बहुल गांव में रहने वाले इकलौते सवर्ण परिवार ने सरकार से इच्छामृत्यु की मांग की है। पीड़ित ठाकुर समुदाय से हैं और उन्होंने ऊघैती थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले बरवारा गांव से पिछला पंचायत चुनाव जीता था। बरवारा गाँव एक दलित बहुल गाँव है जहाँ संतोष कुमार सिंह का परिवार एकमात्र ऐसा परिवार है जो सामान्य वर्ग का है। जानकारी के अनुसार, पिछला पंचायत चुनाव लड़ने वाले संतोष कुमार सिंह को 623 वोटों में से 325 वोट मिले थे।
राजनीतिक रंजिश के चलते अब उनके परिवार पर एससी-एसटी एक्ट के 6 अलग-अलग मामले दर्ज हैं।
राकेश सिंह की पत्नी रेखा सिंह ने नियो पोलिटिको से बात की। उसने कहा कि उसके परिवार में 5 सदस्य हैं और ये सभी आपराधिक मामलों का सामना कर रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने 20 लाख से अधिक रूपए इन फर्जी मामलों के निपटारे में खर्च किए हैं। 25 मई को ठाकुर परिवार पर फिर से एससी-एसटी एक्ट का नया मामला दर्ज किया गया है।
“मैंने सल्फास (एक जहर) खरीदा है और अगर किसी ने हमारी मदद नहीं की तो हमारा परिवार इसे खा कर अपनी जान दे देगा। हमारे पास भागने या अपने जीवन को समाप्त करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है”
रेखा ने नियो पॉलिटीको को बताया
बेटे के खिलाफ कोर्ट ने जारी किया है वारंट
रेखा ने कहा कि एक साल पुराने मामले में कोर्ट ने मेरे बेटे के खिलाफ वारंट जारी किया है जो गांव से बाहर रहकर पढ़ रहा है। साथ ही 2018 में उन पर पॉक्सो और एससी-एसटी एक्ट का झूठा केस दर्ज किया गया था, जहां दलित पक्ष ने मामले को निपटाने के लिए 9 लाख रुपये लिए हैं। रेखा के परिवार ने कुल मिलाकर 20 लाख रुपये से अधिक एससी-एसटी कृत्यों के झूठे मामलों को निपटाने में खर्च किए हैं।
इन फर्जी मामलों के चलते रेखा ने अपने बच्चों को घर के बाहर खेलने से भी रोक दिया है। उसे डर है कि एक छोटी सी बात एक नए मामले को आकर्षित कर सकती है और यह उनका भविष्य खराब कर सकती है।
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