नई दिल्ली: शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा है कि कई समकालीन चुनौतियों का समाधान हमारी पारम्परिक ज्ञान प्रणालियों में निहित है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के तहत परिवर्तनकारी सुधारों का एक साल पूरा होने पर, भारत सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के विभिन्न पहलुओं पर विषय-वस्तु आधारित वेबिनारों की एक श्रृंखला का आयोजन कर रही है। एनईपी में भारतीय ज्ञान प्रणाली, भाषा, कला एवं संस्कृति जैसे नए क्षेत्रों पर विशेष जोर होने के कारण, शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत एआईसीटीई की भारतीय ज्ञान प्रणाली ने आज भारतीय ज्ञान प्रणाली, भाषा, कला एवं संस्कृति के क्षेत्र में शिक्षा में बदलावपर एक राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया। इस अवसर पर केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास एवं रोजगार मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान मुख्य अतिथि थे। सांसद तेजस्वी सूर्या; उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे, शिक्षा मंत्रालय और एआईसीटीई के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे।
इस अवसर पर अपने संबोधन में धर्मेंद्र प्रधान ने समकालीन समय में पारम्परिक ज्ञान प्रणालियों और प्राचीन ज्ञान की प्रासंगिकता तथा एक आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में उनकी भूमिका पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि भारतीयता की भावना के साथ कला, संस्कृति, भाषाओं को ज्ञान से जोड़ने की आवश्यकता है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अपनी जड़ों के साथ जुड़े बिना कोई भी समाज सफल नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा, हमारा अतीत स्थापत्य कला की भव्यता, इंजीनियरिंग के चमत्कार और कलात्मक उत्कृष्टता से भरा हुआ है। उन्होंने आह्वान किया कि भारत की इस सांस्कृतिक संपदा का संरक्षण, प्रोत्साहन और प्रसार देश की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए, क्योंकि यह देश की पहचान के लिए महत्वपूर्ण है।
प्रधान ने जोर देकर कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने 21वीं सदी के भारत के लिए एक रोडमैप तैयार किया है और इसमें हमारी पारम्परिक ज्ञान प्रणालियों पर जोर दिया गया है। भारतीय ज्ञान की परम्पराओं को आगे बढ़ाकर, हम एक नए युग की शुरुआत की नींव रख सकते हैं। उन्होंने कहा, हमें युवाओं के साथ जुड़ने के लिए अपने पारम्परिक ज्ञान को समकालीन, संदर्भगत प्रासंगिकता से जोड़ना चाहिए। श्री प्रधान ने कहा कि कई समकालीन चुनौतियों के समाधान हमारी पारम्परिक ज्ञान प्रणालियों में निहित हैं।
उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे ने अपने संबोधन में राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के निर्माण और उससे जुड़ी बुनियादी बातों पर प्रकाश डाला। श्री खरे ने कहा कि एनईपी नए भारत की आकांक्षाओं को पूरा करने का माध्यम है और यह प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भरता हासिल करने के विजन को साकार करने में अहम भूमिका निभाएगा। तेजस्वी सूर्या ने 21वीं सदी में पारम्परिक भारतीय ज्ञान के संबंध में नई एनईपी 2020 की आवश्यकता पर अपने विचार व्यक्त किए।
उन्होंने कहा विज्ञान, संस्कृति, सभ्यता, कला, विभिन्न प्राचीन शिक्षाएं, इतिहास आदि हमारी गौरवशाली परम्पराओं का अहम भाग रहे हैं और हमारी युवा पीढ़ी को इन परम्पराओं की जानकारी होनी चाहिए तथा उन्हें इनका सम्मान करना चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों के लिए मूल्य आधारित शिक्षा पर जोर दिया।
सूर्या ने एनईपी 2020 के संबंध में पारम्परिक भारतीय ज्ञान के विभिन्न पहुओं पर भी प्रकाश डाला, जिसे भारतीय शिक्षा में फिर से शामिल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस एनईपी 2020 के माध्यम से, देश भर में विभिन्न भाषाओं के विभागों और संस्थानों को मजबूत बनाने की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं।