राँची : परशुराम का लाखों साल पुराना फरसा जिसको छूने वाले के साथ अनहोनी हो जाती है, ऐसी मान्यता है |
आज 7 मई को प्रभु परशुराम का प्रकटोत्सव है वैसे इनकी जयंती वैशाक मास की शुक्ल पक्ष अक्षय तृतीया को मनाया जाता है | इसी संबंध में हमारी टीम आपको एक रोचक जानकारी ढूढ़ कर लाई है जोकि परशुराम से जुड़ी है |
दरअसल झारखंड की राजधानी राँची से 180 किलोमीटर दूर गुमला जिले में स्थित है बाबा टांकीनाथ मंदिर जहाँ भगवान परशुराम द्वारा लाखों साल पहले का गाड़ा हुआ फरसा है |
स्थानीय लोगों की मान्यता है कि यह फरसा खुले आसमान के नीचे रखा है कि लेकिन फिर भी आज तक जंग का नामोंनिशान तक नहीं है और ऐसा भी कहा जाता है कि इस फरसे को कई लोगों नें चोरी करने की भी कोशिश की लेकिन जिन्होंने भी ऐसा दुस्साहस किया उनके या उनके परिवार के साथ अनहोनी हो जाती है | एक किवदंती भी बताई जाती है कि एक बार एक लोहार नें चोरी करने की कोशिश की थी उसके बाद उस लोहार की मौत हो गई थी |
इस फरसे की उम्र को त्रेतायुग से जोड़ा जाता है और बताया जाता है कि जब शिव का धनुष तोड़कर प्रभु राम सीता को व्याह कर वापस आ रहे थे बीच में परशुराम नें राम को रोका और काफ़ी बुरा भला सुनाया लेकिन जब उनको पता चला कि श्री राम विष्णु के ही अवतार हैं तब परशुराम को बहुत दुःख हुआ और इसका पश्चाताप करने के लिए टांकीनाथ के पास के जंगलों में अपना फरसा गाड़ दिया था |
और यही फरसा आज भी इस मंदिर में रखा है जिसमें जंग नहीं लगी और अब यह एक पर्यटक स्थल के रूप में प्रसिद्ध हो चुका है जहाँ लाखों लोग अपनी मन्नतें पूरा करने के लिए आते हैं |
इसके अलावा यहाँ कई शिवलिंगों की स्थापना भी की गई है जोकि खुदाई के दौरान कई जगहों से मिले थे |
बहुत ही सुन्दर और रोचक तथ्य की जानकारी
बहुत सुंदर बहुत शानदार