नईदिल्ली: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने संविधान दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित किया। इस दौरान संसद के सेन्ट्रल हॉल में आयोजित कार्यक्रम के साथ वर्चुअल माध्यम से जुड़कर राष्ट्रपति के नेतृत्व में मुख्यमंत्री के साथ संविधान की उद्देशिका का वाचन किया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति का व्यक्तिगत धर्म के साथ ही राष्ट्रधर्म भी, राष्ट्रधर्म से जुड़ने की प्रेरणा संविधान से प्राप्त होती है, इसलिए संविधान के प्रति सम्मान का भाव हर भारतीय का दायित्व है।
उन्होंने कहा कि जिस भाव से हम अपने पवित्र धर्म ग्रन्थ को घर में रखते हैं, हर भारतवासी को संविधान की प्रति को भी उसी भाव से घर में स्थान देना चाहिए। भारत के संविधान का वास्तविक संरक्षक भारत का आम नागरिक भारत के संविधान की मूल प्रति को देखकर पता चलता है कि संविधान निर्माता कितने दूरदर्शी थे, जिन्होंने भारत की मूल भावनाओं को कहीं पर लिपि के माध्यम से और कहीं पर चित्रों के माध्यम से उकेरने का कार्य किया।
“भारत के संविधान की मूल प्रति भारत की आत्मा भी है, इसमें संदेह नहीं होना चाहिए संविधान के शिल्पी बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर की स्मृति में प्रधानमंत्री जी ने 19 नवम्बर, 2015 को मुम्बई में आंबेडकर स्मारक की आधारशिला रखते हुए 26 नवम्बर को भारत के संविधान दिवस के रूप मनाए जाने की घोषणा की।”
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि भारत का संविधान हम सभी को उन भावनाओं के साथ जोड़ता है, जिसमें देश के हर नागरिक की गरिमा, स्वतंत्रता, समानता तथा बन्धुत्व का भाव सम्मिलित है जिस रूल ऑफ लॉ के लिए अधिवक्तागण कार्य करते हैं, वर्तमान राज्य सरकार ने विगत साढ़े चार वर्षों में प्रदेश में उसी रूल ऑफ लॉ को लागू किया कानून का राज स्थापित करने के प्रदेश सरकार के प्रयासों से राज्य के सम्बन्ध में देश व दुनिया का पर्सेप्शन बदला।
अंत में उन्होंने कहा कि प्रदेश के आम नागरिक में विश्वास जागृत हुआ वर्तमान में प्रदेश की कानून व्यवस्था देश के लिए एक नजीर बन गयी राज्य सरकार ने अधिवक्ता समुदाय के हितों के लिए निरन्तर कार्य किया।