लचर न्याय व्यवस्था: हत्या के केस में निर्दोष ने जेल में काटे 28 वर्ष, कोर्ट ने बेगुनाह बताकर अब किया रिहा

आज से करीब दो दशक पहले पुलिस द्वारा हत्या के आरोप में एक व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया जाता हैं और हत्या के विचाराधीन केस में गिरफ्तारी के 28 साल बाद कोर्ट द्वारा उसे बाइज्जत बरी कर दिया जाता हैं।

कहते हैं पीड़ित के लिए कानून व्यवस्था ही एक आशा की किरण होती है, लेकिन जब न्याय व्यवस्था से ही प्रताड़ना झेलनी पड़ती है फिर किस आधार पर और किससे न्याय की कल्पना की जा सकती हैं?

जानिए क्या था मामला?

दरअसल मामला 11 जून 1993 के दौरान का है, जहां बिहार के भोरे थाना क्षेत्र के हरिहरपुर गाँव निवासी सूर्यनारायण भगत उत्तरप्रदेश के देवरिया जिले के बनकटा थाना क्षेत्र के  टड़वां गाँव निवासी बीरबल भगत के साथ मुजफ्फरनगर जाने के लिए निकले थे, जिसके बाद घर नही पहुंचने पर बेटे सत्यनारायण भगत द्वारा काफी तलाश करने के बाद भोरे थाना में मामला दर्ज करवा कर साथ गए बीरबल भगत को नामजद अभियुक्त बनाया गया।

कुछ समय पश्चात देवरिया पुलिस को एक अज्ञात शव मिला जिसे पुलिस द्वारा लावारिस समझकर दफना दिया गया। कुछ दिनों बाद देवरिया पुलिस द्वारा मिली फोटो के आधार पर परिजनों ने बताया कि दफनाया गया शव सूर्यनारायण भगत का ही था।

वही जनवरी 1994 किसी दूसरे आपराधिक मामले में 11 वर्ष की सजा काटने के बाद भोरे थाना पुलिस ने रिमांड पर लेकर बीरबल को गोपालगंज जेल में बंद कर दिया गया था, केस कोर्ट में विचाराधीन होने के चलते तब से 2022 तक वह जेल में ही बंद रहे।

नही दे पाए माॅं बाप को कंधा

इसी भारतीय न्याय व्यवस्था की मार के चलते बीरबल को अपने माता पिता की मृत्यु पर उन्हें कंधा भी मौका नहीं दे सकें और तो और जेल जाने पर परिवार के बाकी सदस्यों ने भी उन से सभी रिश्ते नाते तोड़ लिए।

28 साल बाद भी चार्जशीट दाखिल नहीं कर पाई पुलिस

हत्या और अपहरण के केस में लगभग 28 साल गोपालगंज जेल में बंद रहने के बाद जब अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश विश्वविभूति गुप्ता की कोर्ट ने पुलिस पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि मामले में न तो पुलिस कोर्ट में सबूत रख सकी और न ही मामले की जांच कर रहे जिम्मेदार कोर्ट पहुंचे।

कोर्ट ने सबूतों के अभाव के चलते करीब 28 साल बाद 21 अप्रैल 2022 को दोषमुक्त करार देते हुए बाइज्जत बरी कर दिया. इतने वर्षों न्याय व्यवस्था की मार झेलने के बाद अपनी रिहाई के बाद ही वह फूट फूट कर रोने लगे।

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Kapil reports for Neo Politico Hindi.

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