लखनऊ: शिया मुसलमानों ने शनिवार को बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार और हिंसा के विरोध में कैंडल मार्च निकाला। इस मार्च का आयोजन छोटा इमामबाड़ा से किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। प्रदर्शन का नेतृत्व मजलिस उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना कल्बे जव्वाद ने किया। इस दौरान अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और धार्मिक स्थलों पर हो रहे हमलों के खिलाफ कड़े कदम उठाने की मांग की गई।
बांग्लादेश में बढ़ती हिंसा पर मौलाना की चिंता
मौलाना जव्वाद ने बांग्लादेश में हो रही हिंसा पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “सत्ता परिवर्तन के बाद बांग्लादेश में कट्टरपंथी ताकतें बेलगाम हो गई हैं। अल्पसंख्यक समुदाय, विशेष रूप से हिंदू, लगातार निशाने पर हैं। धार्मिक स्थलों को नष्ट किया जा रहा है और आम लोगों पर हमले हो रहे हैं।” उन्होंने इसे पूरी मानवता पर हमला बताते हुए कहा कि इस तरह की घटनाएं सभ्य समाज के लिए शर्मनाक हैं। मौलाना ने पाकिस्तान में शिया मुसलमानों पर हो रहे अत्याचार और गाजा में सुन्नी मुसलमानों की स्थिति पर भी अपनी चिंता जताई।
संयुक्त राष्ट्र की निष्क्रियता पर तीखा प्रहार
मौलाना ने संयुक्त राष्ट्र (UN) को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा, “UN अब एक निष्क्रिय संस्था बन चुकी है। आज तक उसने किसी भी अपराधी को सजा दिलाने में सफलता नहीं पाई है। बांग्लादेश, पाकिस्तान और अन्य देशों में हो रहे अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचार पर उसकी खामोशी बेहद दुखद है।” मौलाना ने भारत सरकार, विशेष रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की कि वे बांग्लादेश सरकार पर दबाव बनाएं ताकि वहां के हिंदू समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। उन्होंने यह भी कहा कि भारत को इस मामले को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाना चाहिए।
विरोध प्रदर्शन के दौरान गूंजे नारे
प्रदर्शनकारियों ने “बांग्लादेश मुर्दाबाद” और “पाकिस्तान मुर्दाबाद” के नारे लगाते हुए अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे अत्याचार पर गहरा रोष जताया। उनके हाथों में तख्तियां थीं, जिन पर “इंसानियत के दुश्मनों को सजा दो” और “अल्पसंख्यकों पर अत्याचार बंद करो” जैसे संदेश लिखे थे। प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि यदि बांग्लादेश और पाकिस्तान में इस तरह के हमले बंद नहीं हुए, तो दिल्ली में बड़े स्तर पर प्रदर्शन किया जाएगा। उन्होंने बांग्लादेश और पाकिस्तान के दूतावासों का घेराव करने की बात भी कही।
भारत सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग
मौलाना जव्वाद ने प्रदर्शन को संबोधित करते हुए कहा, “यह केवल धार्मिक नहीं, बल्कि मानवाधिकारों का गंभीर मुद्दा है। प्रधानमंत्री मोदी को इस मामले में तत्काल कदम उठाने चाहिए। यह उनकी जिम्मेदारी है कि वे सुनिश्चित करें कि बांग्लादेश सरकार अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाए।” प्रदर्शनकारियों ने कहा कि यह लड़ाई किसी धर्म विशेष के लिए नहीं, बल्कि मानवता की रक्षा के लिए है। उन्होंने आश्वासन दिया कि यह विरोध प्रदर्शन तब तक जारी रहेगा, जब तक अल्पसंख्यकों को न्याय नहीं मिल जाता।