नागपुर: पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव परिणामों के बाद राज्य में उपजी राजनीतिक हिंसा की हर ओर निंदा हो रही है।
अब आरएसएस ने भी एक बयान जारी कर हिंसा की भरसक निंदा की है। संघ के सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबले ने अपने बयान में कहा “चुनाव परिणाम के तुरंत बाद उन्मुक्त होकर अनियंत्रित तरीक़े से हुई राज्यव्यापी हिंसा न केवल निंदनीय है, बल्कि पूर्व नियोजित भी है। समाज-विघातक शक्तियों ने महिलाओं के साथ घृणास्पद बर्बर व्यवहार किया, निर्दोष लोगों की क्रूरतापूर्ण हत्याएँ कीं, घरों को जलाया, व्यवसायिक प्रतिष्ठानों-दुकानों को लूटा एवं हिंसा के फलस्वरूप अनुसूचित जाति-जनजाति समाज के बंधुओं सहित हज़ारों लोग अपने घरों से बेघर होकर प्राण-मान रक्षा के लिए सुरक्षित स्थानों पर शरण के लिए मजबूर हुए हैं। कूच-बिहार से लेकर सुंदरबन तक सर्वत्र जन सामान्य में भय का वातावरण बना हुआ है।”
उन्होंने कहा “राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इस वीभत्स हिंसा की कठोर शब्दों में निंदा करता है। हमारा यह सुविचारित मत है कि चुनाव-परिणामों के पश्चात अनियंत्रित चल रही हिंसा भारत की सह-अस्तित्व और सबके मतों का सम्मान करने की परंपरा के साथ-साथ भारतीय संविधान में अंकित एक जन और लोकतंत्र की मूल भावना के भी विपरीत है।”
“इस पाशविक हिंसा का सर्वाधिक दुखद पक्ष यह है कि शासन और प्रशासन की भूमिका केवल मूक दर्शक की ही दिखाई दे रही है। दंगाइयों को ना ही कोई डर दिखाई दे रहा है और ना ही शासन-प्रशासन की ओर से नियंत्रण की कोई प्रभावी पहल दिखाई दे रही है।”
“शासन-व्यवस्था कोई भी हो, किसी भी दल की हो, उस का सर्वप्रथम दायित्व समाज में क़ानून-व्यवस्था के द्वारा शांति और सुरक्षा का वातावरण बनाना, अपराधी और समाज-विरोधी तत्वों के मन में शासन का भय पैदा करना और हिंसक गतिविधियाँ करने वालों को दंड सुनिश्चित करना होता है।”
“चुनाव को दल जीतते हैं, पर, निर्वाचित सरकार पूरे समाज के प्रति जवाबदेह होती है। हम नव निर्वाचित सरकार से यह आग्रह करते हैं कि उसकी सर्वोच्च प्राथमिकता राज्य में चल रही हिंसा को तुरंत समाप्त कर क़ानून का शासन स्थापित करना, दोषियों को अविलंब गिरफ्तार कर कठोर कार्रवाई सुनिश्चित करना, हिंसा-पीड़ितों के मन में विश्वास और सुरक्षा का भाव पैदा कर पुनर्वास के लिए आवश्यक कदम उठाना, होनी चाहिए। हम केंद्र सरकार से भी आग्रह करते है कि वह बंगाल में शान्ति क़ायम करने हेतु आवश्यक हर सम्भव कदम उठाए एवं यह सुनिश्चित करे कि राज्य सरकार भी इसी दिशा में कार्रवाई करे।”
अंत में उन्होंने कहा “राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समाज के सभी प्रबुद्ध जनों, सामाजिक धार्मिक राजनैतिक नेतृत्व का भी आहवान करता है कि इस संकट की घड़ी में वे पीड़ित परिवारों के साथ खड़े हो कर विश्वास का वातावरण बनाएं, हिंसा की कठोर शब्दों में निंदा करें एवं समाज में सद्भाव और शांति व भाईचारे का वातावरण खड़ा करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभायें।”