नई दिल्ली : एनडीए सरकार में हाल ही में जारी किये गए डाटा जासूसी सम्बंधित आदेश पर मचे बवाल पर सरकार को घेरने वाली विपक्ष अब खुद घिरती हुई नजर आ रही हैं । एक RTI के माध्यम से खुलासा हुआ है कि कांग्रेस सरकार के समय 9000 फ़ोन कॉल व 500 ईमेल को हर महीने इंटरसेप्ट करने के लिए सरकार कि ओर से नोटिस भेजा जाता था ।
दरअसल सरकार ने हाल ही में इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 2000 के अंतर्गत 10 केंद्रीय सरकारी एजेंसियो को यह अधिकार दिया है कि वह किसी कि भी डाटा जासूसी कर सकती है जिसमे फ़ोन कॉल, ईमेल, कंप्यूटर इनफार्मेशन शामिल है।
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सरकार द्वारा जारी कि गई इस अधिसूचना के बाद से विपक्ष ने सरकार को यह कहते हुए घेरना शुरू कर दिया है कि सरकार किसी भी नागरिक कि जासूसी करना चाहती है आपकी हमारी निजी बाते भी अब सरकार सुन लेगी।
आपको हम बताते चले कि भारत में यह कानून पहले से मौजूद था जिसको 2008 में कांग्रेस कि यूपीए सरकार ने और मजबूत कर दिया था जिसपर आज इतना हो हल्ला मचाया जा रहा है।
वही RTI के खुलासे से यह साफ़ हो गया है कि यूपीए सरकार में भी यह होता आया है दरअसल सुरक्षा एजेंसिया किसी भी व्यक्ति कि निजी सुचना को भी निकाल सकती है अगर उसे किसी भी व्यक्ति पर सुरक्षा कि दृष्टि से शक होता है।
यह RTI वर्ष 2013 में डाली गयी थी जो अब प्रकाश में आयी है, RTI में बताया गया है कि हर महीने लगभग 7500 से 9000 फ़ोन कॉल कि जासूसी करने के आर्डर सरकार कि तरफ से आते थे। और वही दूसरी RTI में बताया गया था कि यूपीए सरकार कि तरफ से 350 से 500 नोटिस ईमेल कि जासूसी के लिए हर माह आते थे। RTI के माध्यम से अपने ही पेंच में कांग्रेस फंस गई सो अब देखना होगा कि विपक्ष इसपर कैसी प्रतिक्रिया देता है।
10 सरकारी एजेंसिया जो कर सकेंगी डाटा कि जासूसी :
- इंटेलिजेंस ब्यूरो
- नारकोटिक्स कण्ट्रोल ब्यूरो
- एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट
- सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ डायरेक्ट टैक्सेज
- सेंट्रल ब्यूरो ऑफ़ इन्वेस्टीगेशन
- नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी
- रिसर्च एंड एनालिसिस विंग
- डायरेक्टरेट ऑफ़ सिग्नल इंटेलिजेंस
- दिल्ली पुलिस
- डायरेक्टरेट ऑफ़ रेवेनुए इंटेलिजेंस