नई दिल्ली: पूजा स्थल अधिनियम की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी किया है।
सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट ने भारत सरकार के गृह, कानून और संस्कृति मंत्रालय को नोटिस दिया। याचिका में कहा गया है कि ये अधिनियम न केवल हिंदुओं जैन बौद्ध सिखों को अदालत के माध्यम से उनके पूजा स्थलों को वापस लेने के लिए धर्मिक अधिकार को वापस लेता है, बल्कि आक्रमणकारियों के अवैध कृत्यों को भी वैध करता है।
ये नोटिस मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे और एएस बोपन्ना की खंडपीठ ने अधिवक्ता और भाजपा प्रवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय की याचिका पर जारी किया है।
वहीं आज एक बयान में याचिका के बारे में खुद याचिकाकर्ता उपाध्याय ने कहा कि कांग्रेस ने 1991 में एक कानून बनाकर आक्रमणकारियों द्वारा तोड़े गए सभी मंदिरों को वैध करार कर दिया। जबकि सरकार का काम ये नहीं है कि किसी के गैरकानूनी काम को वैध करे। लेकिन कांग्रेस ने किया।
आगे कहा कि हमारा मौलिक अधिकार है कि जो हमारे धार्मिक स्थल हैं उनपर हमारा स्वामित्व हो उनके देखरेख का अधिकार हो। सरकार का कर्तव्य था कि जो भी अवैध कब्जे हैं उन्हें जिनके हैं उन्हें वापस दिलाए लेकिन कांग्रेस ने उल्टा किया।
उन्होंने कहा कि बहुत जल्द अगली सुनवाई होगी, मुझे आशा है कि सुप्रीम कोर्ट इस कानून को खत्म करेगा और हमे हमारे धार्मिक स्थलों का स्वामित्व भी मिल जाएगा।