नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को दो भाजपा नेताओं द्वारा दायर याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा, जिसमें फ़र्जी अभियोजन के पीड़ितों के लिए मुआवजे की मांग की गई थी।
अश्विनी कुमार उपाध्याय और कपिल मिश्रा द्वारा दायर की गई याचिकाओं में विष्णु तिवारी का उदाहरण दिया गया था, जिसे हाल ही में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 20 साल जेल में बिताने के बाद बरी कर दिया था।
याचिकाकर्ताओं ने फर्जी शिकायतकर्ताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई व मुकदमा चलाने और फर्जी अभियोजन के पीड़ितों के उचित मुआवज़े के एक ढाँचे के लिए दिशानिर्देश और तंत्र की मांग की।
जब यह मामला मंगलवार को सुनवाई के लिए आया, तो न्यायमूर्ति यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने शुरुआत में टिप्पणी की कि आपराधिक कानून के तहत मौजूदा तंत्र याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाए गए मुद्दों से निपटने के लिए पर्याप्त है।
एक लंबी चर्चा के बाद खंडपीठ ने सहमति व्यक्त की कि फिलहाल, यह केवल गलत अभियोजन के पीड़ितों को मुआवजा देने के लिए दिशानिर्देशों को तैयार करने के लिए प्रार्थना की जांच करेगा। इसलिए, केंद्रीय गृह मंत्रालय और केंद्रीय कानून मंत्रालय को नोटिस जारी किया गया।
वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसारिया और अधिवक्ता अरिजीत प्रसाद ने याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व किया। कपिल मिश्रा ने अपनी दलील में विष्णु तिवारी मामले का उल्लेख करते हुए कहा कि झूठे मामलों ने उन मासूमों की आत्महत्या को बढ़ावा देता है, जो पुलिस और अभियोजन कदाचार के शिकार हैं।