अमेठी: एससी एसटी कोर्ट सुल्तानपुर ने रेप व दलित को जातिसूचक शब्द कहने के एक मामले में युवक को दोषमुक्त कर दिया है। कोर्ट ने पाया कि युवक जोकि पीड़िता का शिक्षक था उसे आपसी मतभेदों के चलते दुष्कर्म व एससी एसटी एक्ट के झूठे मुक़दमे में आरोपी बनाया गया है। साथ ही युवक के पिता को भी पीड़िता ने मामले में आरोपी बनाया था।
दरअसल अमेठी जिले की एक नाबालिग लड़की ने आरोप लगाया था कि मनोज प्रजापति स्कूल से आते वक़्त उससे छेड़छाड़ करता था। आरोपी द्वारा लड़की को एक फ़ोन दिया गया था जिसपर वह उससे अश्लील बाते करता था।
इसी दौरान उसपर दबाव बनाकर आरोपी ने उसके साथ दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया था। साथ ही युवक ने उसकी अश्लील वीडियो भी बना ली थी जिसको वायरल करने की धमकी देकर वह उससे जबरदस्ती सम्बन्ध बनता आ रहा था। आगे वादिनी ने कहा कि माँ ने उसे एक दिन फ़ोन के साथ पकड़ लिया था जिसपर उसने सारी बाते अपनी माँ को बताई थी।
हालाँकि कोर्ट ने पाया कि आरोपी वादिनी को उसके घर ट्यूशन पढ़ाने जाता था व आपसी मनमुटाव के कारण उसको दुष्कर्म व उसके पिता को फसाया गया है। सुनवाई करते हुए कोर्ट ने आरोपी के खिलाफ कोई भी सबूत नहीं पाया। विशेष न्यायधीश राहुल प्रकाश ने साथ ही आरोपी के पिता को भी सभी आरोपों से दोषमुक्त कर दिया।
फीस मांगने पर लगाया झूठा मुकदमा
आरोप है कि मनोज द्वारा वादिनी से फीस मांगे जाने पर झूठा मुकदमा दर्ज कराया गया था। झूठे मुक़दमे के कारण गाँव में परिवार की साख को भारी क्षति पहुंची है। हालाँकि अब न्याय मिलने से परिजनों में ख़ुशी की लहर है।