हाथरस: एससी एसटी एक्ट कोर्ट हाथरस ने 6 वर्षो के लम्बे इंतज़ार के बाद दलित उत्पीड़न के आरोपों से 23 लोगो को बरी कर दिया है। जस्टिस अनुराग पंवार ने अपने निर्णय में सभी 23 लोगो को निर्दोष माना है। साथ ही फर्जी मुकदमा करने को लेकर कथित पीड़ित रामवीर के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है।
जानकारी के मुताबिक वर्ष 2016 में हाथरस के थाना मुरसान के अंतर्गत आने वाले विशुनदास के 23 लोगो पर रामवीर ने दलित उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस ने तहरीर पर सभी लोगो के खिलाफ आईपीसी 323, 325, 504, 506, 452 व 3(1)x एससी एसटी एक्ट में FIR दर्ज की थी।
पीड़ित पक्ष का आरोप था कि आरोपियों ने होली की रात करीब 10 बजे डीजे पर नाचने को लेकर उनपर हमला कर दिया था। दोनों पक्षों की प्रधानी के चुनाव को लेकर रंजिश चली आ रही थी।
रामवीर ने आरोप लगाया था कि 23 मार्च 2016 को रात में 10 बजे आरोपियों ने एक राय होकर उन्हें पीटा था। साथ ही जातिसूचक शब्दों से अपमानित भी किया था। जाटव समाज से आने वाले रामवीर ने कुल 23 लोगो को नामजद किया था जोकि जाट जाति से आते है।
कोर्ट ने मामले को पाया फर्जी
सुनवाई के दौरान पीड़ित पक्ष कोई भी साक्ष्य देने में असमर्थ रहा। साथ ही मौके की परिस्थिति भी किये जा रहे दावे से विपरीत मिल रही थी। न्यायधीश ने करीब 6 वर्ष चले इस मामले में कहा की पीड़ित पक्ष की ओर से दिए गए साक्ष्य से भी आरोप सत्य प्रतीत नहीं हो रहे है। साथ ही आरोपियों को रिहा करना ही न्यायोचित माना।
पीड़ित पर दिए मुकदमा दर्ज करने के निर्देश
न्यायलय ने पीड़ित पक्ष पर धारा 344 के तहत नोटिस जारी करने का आदेश सुनाया है। धारा 344 तब लगाई जाती है जब कोई व्यक्ति मिथ्या तथ्यों के माध्यम से किसी को जेल पहुंचाने का प्रयास करता है। इसमें दोषी पाए जाने पर 3 वर्षो की सजा का प्रावधान है।
हाथरस में पहले भी 100 प्रतिशत फर्जी पाए गए है मुक़दमे
नियो पॉलिटीको व फलाना दिखाना ने विस्तृत रिपोर्ट में पहले भी दर्शाया है कि हाथरस जिले में 100 प्रतिशत फर्जी मुक़दमे दर्ज हो रहे है। नवम्बर माह में भी सभी दलित उत्पीड़न के ट्रायल कोर्ट में फर्जी पाए गए है।