नई दिल्ली: 5G मोबाइल नेटवर्क का पांचवा जेनरेशन है यह एक सॉफ्टवेयर आधारित नेटवर्क है, जिसे वायरलेस नेटवर्क की स्पीड और कार्यक्षमता को बढ़ाने के लिए डेवलप किया गया है.
5G के बारे में पिछले करीब 2 सालों से चर्चा हो रही है और अब चीन, अमेरिका, जापान और यहां तक कि दक्षिण कोरिया जैसे देशों में इसका इस्तेमाल शुरू हो चुका है. और बहुत जल्द ही इसे भारत में भी शुरू करने की कोशिश हैं. लेकिन 5G पर चर्चा के बीच कई लोग यह जानने के लिए जरूर उत्सुक होंगे कि 5G टेक्नोलॉजी आखिर है क्या ?
5G क्या है ?
5G मोबाइल नेटवर्क का पांचवा जेनरेशन है. 5G को इस तरह से सोचिए कि 4G नेटवर्क की स्पीड का 100 गुना. 4G की तरह ही, 5G भी उसी मोबाइल नेटवर्किंग प्रिंसिपल पर आधारित है.
5 जी टेक्नोलॉजी हमारे वर्तमान 4 जी नेटवर्क की तुलना में तेज गति, बिना किसी समय (अंतराल), के बेहतर विश्वसनीयता, बड़े पैमाने पर नेटवर्क क्षमता, बढ़ी हुई उपलब्धता और वर्तमान 4 जी नेटवर्क से बेहतर सुविधा प्रदान करेगा
जानिए कैसे काम करती है 5G टेक्नॉलिजी:
इसे हाई बैंड 5G नेटवर्क फ्रिक्वेंसी कहा जाता है. इसमें 24GHz से ऊपर की फ्रिक्वेंसी का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें ज्यादा बैंडविथ (Space)मिलता है. इसमें डाटा की स्पीड 1Gbps तक की होती है. mmWave को डिप्लॉय करने के लिए कई छोटे और लोअर रेंज के सेलफोन टॉवर का इस्तेमाल किया जाता है, ताकि कवरेज को पूरा किया जा सके.
आपने जिस तरह 2G, 3G में ऊंचे टावर्स को देखा होगा उसी प्रकार 4G नेटवर्क में भी काफी बड़े-बड़े टावर ऊंचाई में स्थित होते हैं। परन्तु 5G की बात करें तो 5G तकनीक में 5G वायरलेस Signals को Transmit करने के लिए के लिये अलग तरह से tower स्थापित किए जाते हैं। जिनका साइज काफी छोटा होता है, इन Towers को बिजली के खंभों या घर के छतों पर स्थापित किया जा सकता है.
इस तकनीक के आने से devices की बैटरी लाइफ बढ़ जाएगी। क्योंकि मौजूदा नेटवर्क में डेटा और नेटवर्क को लगातार सर्च करने में ही बैटरी समाप्त हो जाती थीं। और 5 जी नेटवर्क में, 4 जी नेटवर्क की तुलना में काफी कम समय लगता है जिससे उसमें बैटरी बैकअप भी अच्छा मिलेगा और अधिक समय तक इस्तेमाल की जा सकेगी.
हालांकि, अभी 5 जी तकनीक के आने में काफी समय लग सकता है। ऐसे में भविष्य में अभी इसके बारे में काफी जानकारी सामने आ सकती हैं. नए जनरेशन के इस नेटवर्क में कुछ न कुछ खूबियां और खामियां हैं. लेकिन जब तक यह तकनीक लॉन्च नहीं हो जाती है. तब तक इसके बारे में स्पष्ट रूप से कहना ठीक नहीं होगा.
Kapil reports for Neo Politico Hindi.