लखनऊ (UP): विधानसभा चुनावों के लिए विपक्षी दलों ने ब्राह्मण कॉर्ड का पाँसा फेक दिया है।
देश के सबसे बड़े सूबे में अब आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर ब्राह्मणों के सहारे सत्ता की तैयारी करने शुरू कर दी है। जैसा कि अखिलेश यादव की पार्टी सपा ने भगवान परशुराम की मूर्ति स्थापित करने की घोषणा की है।
समाजवादी पार्टी के ब्राह्मण नेता, अभिषेक मिश्रा, जो अखिलेश यादव मंत्रिमंडल में मंत्री थे, उनको भगवान परशुराम की मूर्ति स्थापित करने का काम सौंपा गया है। सपा की योजना भगवान विष्णु के छठवें अवतार परशुराम की एसपी की सबसे ऊंची मूर्ति स्थापित करना है। पार्टी देश के कुछ शीर्ष मूर्तिकारों के साथ चर्चा में है। इस घोषणा के तहत 108 फीट लंबी मूर्ति के स्थापना होने की उम्मीद है। इसे परशुराम चेतना पीठ ट्रस्ट के बैनर तले बनाया जाएगा और लखनऊ के जनेश्वर मिश्र पार्क में स्थापित किया जाएगा।
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पार्टी के सूत्रों का कहना है कि कुछ वरिष्ठ सपा नेता हाल ही में परियोजना के सिलसिले में जयपुर आए थे। उन्होंने कहा कि अर्जुन प्रजापति जैसे प्रसिद्ध मूर्तिकारों के साथ भी बातचीत हो रही है, जो पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमा बनाने के लिए जाने जाते हैं। राजनीतिक पंडितों की मानें तो सपा का ये निर्णय ब्राह्मणों के साथ जुड़ने का एक प्रयास है, जिसे कभी सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का पारंपरिक वोट बैंक माना जाता है।
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सपा प्रवक्ता अनुराग भदौरिया ने कहा कि “देश का सबसे बड़ा पार्क, जनेश्वर मिश्र पार्क, समाजवादी पार्टी की सरकार द्वारा बनाया गया था और जनेश्वर मिश्र की एक प्रतिमा भी वहां स्थापित की गई थी। अब हम भगवान परशुराम की प्रतिमा भी स्थापित करेंगे। भगवान परशुराम की माँ एक क्षत्रिय थीं और हम ब्राह्मण और क्षत्रिय दोनों समुदाय का सम्मान करते हैं।”
सपा नेताओं का कहना है कि यह भगवान परशुराम की सबसे ऊंची प्रतिमा होगी और यह 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी के लिए एक मास्टर स्ट्रोक साबित हो सकता है। सत्ता के लिए रास्ता खोजने के लिए पार्टी ने वर्षों तक मुस्लिम-यादव (एम-वाई) फार्मूले पर भरोसा किया। लेकिन गैंगस्टर दुबे की हत्या के बाद राज्य में ब्राह्मण वोट बैंक की राजनीति गर्म हो गई है। कांग्रेस भी यूपी में समुदाय की समस्याओं को उजागर करने की कोशिश कर रही है।
भाजपा ने सपा के इस परियोजना को लेकर समाजवादी पार्टी पर निशाना साधा है। बीजेपी नेता लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने कहा, “हमें लखनऊ में भगवान परशुराम की मूर्ति स्थापित करने में कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन समाजवादी पार्टी की मंशा पर हमें आपत्ति है। एक तरफ उनके सांसद कहते हैं कि बाबरी थी और हमेशा एक मस्जिद होगी जबकि दूसरी तरफ वे भगवान परशुराम के बारे में बात करते हैं। ब्राह्मण भाजपा राज से नाखुश नहीं हैं।”
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