नई दिल्ली: रोजाना देश के राजनितिक हालातो पर अपनी राय रखने वाली सुप्रीम कोर्ट वकील व एक्टिविस्ट सुबुही खान को आपने टीवी पर खूब पढ़ा व सुना होगा। आये दिन मुल्ला के इस्लाम व अल्लाह के इस्लाम के बारे में वह देश के लोगो को फर्क बता सचेत करती हुई दिख जाती है।
परन्तु क्या आप सभी को पता है कि इस सुप्रीम कोर्ट लॉयर के भोजन में मात्र शाकाहार ही आता है ? शाकाहार होने की जानकारी खुद सुबुही खान ने फेसबुक के जरिये लोगो को दी।
उन्होंने एक पोस्ट साझा करी जिसमे लिखा “मै शाकाहारी हु, मुझे गर्व है कि मेरे भोजन के लिए किसी निर्दोष जीव की हत्या नहीं की जाती है। मेरा भोजन दर्द, तड़प, चीख और हिंसा से मुक्त होता है।”
बस फिर क्या था सुबुही खान के चाहने वालो ने खान की तारीफों के कसीदे पढ़ दिए। एक फेसबुक यूजर जयंत श्रीवास्तव ने लिखा “सुबुही खान, आरिफ मोहम्मद खान, के मोहम्मद, निगहत अब्बास, तारेक फतेह, रुबिका लियाकत, आरिफ अजाकिया, नुसरत जहाँ आप सभी मान्यवरो की तरफ से भारतवर्ष की प्राचीन सभ्यता और प्रभूता को तर्कसंगत दृष्टिकोन से समर्थन प्राप्त हो रहा है। आप सभी को विनम्र अभिवादन”।
वही अन्य यूजर देवेंन्द्र नाथ ने कहा “आपने शाकाहारी भोजन को जो आदर सूचक शब्दों से सम्मानित किया है बहुत सराहनीय है। मांसाहारी भोजन के लिए भी आपके शब्द बहुत बहुत सराहनीय है। आपने प्रमाणित कर दिया है कि जैसा आहार होता है वैसा ही विचार होता है। आप परिपूर्ण संतुलित शम्य भारतीय नारी है। मुझे आप पर गर्व होता है । वन्देमातरम”।
खैर इन लोगो में ऐसे लोग भी थे जिन्होंने सुबुही खान को नाम बदलने तक की सलाह दे डाली। वहीं एक यूजर मोहम्मद नौशाद खान ने तो जाहिलता की सभी हदे पार करते हुए लिखा ” फिर तुम्हे इतना चर्बी कहा से आया मोटी”। वहीं उसके नीचे उन्होंने महात्मा गाँधी के साथ एक बेहद ही आपत्तिजनक उद्धरण को जोड़ दिया जिसे हम लिखना भी किसी अपमान से कम नहीं समझते।
आपको बता दे कि ट्रिपल तलाक़ पर मुस्लिम महिलाओ को हक़ दिलाने वालो में से एक सुबुही खान भी थी जिन्होंने पुरे जोर शोर से ट्रिपल तलाक़ के हो रहे बेजा इस्तमाल का मुद्दा न्यूज़ चैनल्स पर उठाया था।
साथ ही सुबुही खान की तारीफ में खुद पाक मूल के लेखक व पत्रकार तारेक फतह भी कई दफा कसीदे पढ़ चुके है। हाल ही में उन्होंने सुबुही खान को टैग करके ट्वीट लिखा था कि अगर आपको भारत के मुसलमानो का सही नजरिया जानना है तो सुबुही खान को फॉलो करे। वह उन बढ़ती हुई मुस्लिम महिलाओ में से है जिन्होंने हिंदुस्तान में स्वयं नियुक्त मुल्ला के नेतृत्त्व को नकारा है।
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Why Harsh Meena is writing this piece?
Harsh Meena is a student of journalism at the University of Delhi. He reads and writes Dalit politics for exposing the venom spread by the so-called Dalit organizations. Besides, he is known for being vocal about the forceful conversions of the Hindu Dalits. Fun Fact, Dalit organizations hate him for exposing their nexus with Jay Meem!