नई दिल्ली: सरकार ने संसद में जानकारी देते हुए बताया कि न्यायालयों में वर्गों के प्रतिनिधत्व को लेकर केन्द्रीय रुप में किसी वर्ग / श्रेणीवार डाटा नहीं रखा गया है।
राज्यसभा सांसद के. सोमप्रसाद द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में विधि और न्याय मंत्री किरेन रीजीजू ने सदन में कहा कि उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति, भारत के संविधान के अनुच्छेद 124 , 217 और 224 के अधीन की जाती है, जो किसी जाति या वर्ग के व्यक्तियों के लिए आरक्षण का उपबंध नहीं करते हैं। इसीलिए केन्द्रीय रुप में किसी वर्ग / श्रेणीवार डाटा नहीं रखा गया है।
आगे मंत्री ने कहा कि फिर भी, सरकार ने उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायमूर्तियों से अनुरोध किया है कि न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए प्रस्ताव भेजते समय अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यकों और महिलाओं से संबंधित उपयुक्त उम्मीदवारों को उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति में सामाजिक विविधता सुनिश्चित करने के लिए सम्यक विचार किया जाए।