आदिवासी युवकों ने किया था नाबालिग दलित का रेप, अब पंचों द्वारा केस वापस लेने का दबाव बनाने पर FIR

करौली: राजस्थान के करौली जिले में नाबालिग दलित लड़की के साथ दुष्कर्म की वारदात होने का मामला सामने आया है। जहां बकरी चराने जंगल गई लड़की के साथ आदिवासी युवकों ने दुष्कर्म किया और उसे कुएं में भी फेंक दिया।

घटना करौली जिले के कैला देवी थाना क्षेत्र के अन्तर्गत धोरेरा गांव की है। लड़की के पिता ने कैलादेवी थाने में मुकदमा दर्ज कराया और बताया कि रविवार सुबह उसकी लगभग 16 वर्षीय बेटी बकरी चराने के लिए जंगल की ओर गई लेकिन देर रात तक वापस नहीं लौटी। जब परिजनों को लड़की की चिंता हुई तो वह लड़की की तलाश में जंगल की ओर गए लेकिन पूरी रात तलाश करने के बाद भी युवती परिजनों को नहीं मिली।

अगले दिन सुबह जब परिजनों ने उन्हें जंगल में लड़की की खोज की तो वे एक कुएं के पास से गुजरे जहां से किसी के रोने की आवाज आ रही थी, यह आवाज उनकी लापता बेटी की थी जो कि रात भर कुएं में पड़ी रही थी।

पीड़ित परिवार से मिलते हुए सामाजिक संगठन के लोग

परिजनों ने लड़की से जानकारी लेकर मुकदमा दर्ज कराया कि उनकी बेटी के साथ धोरेरा गांव के ही निवासी रूपसिंह मीणा, रिंकू मीणा और जय सिंह मीणा ने जंगल में बारी-बारी से दुष्कर्म किया और युवती को घायल अवस्था में वही पटक कर चले गए।

शाम को जब युवती अपने घर जा रही थी तो बकरी का बच्चा जंगल में ही भूल गई जिसे लेने वह वापस गई तो आरोपी रूप सिंह मीणा ने उससे पुनः दुष्कर्म किया और लड़की को धमका कर कुएं में गिरा कर चले गए।

पुलिस अधीक्षक मृदुल कच्छावा ने मामले को गंभीरता से लिया और त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया। परंतु उक्त मामले में उस वक्त नया मोड़ आ गया जब पुलिस के सामने लड़की और उसके पिता ने बयान बदल दिए। पिता ने पुलिस को दिए बयान में बताया कि छोटी बहिन द्वारा चिढ़ाने के कारण युवती नाराज होकर जंगल चली गई जहां वह खुद कुएं में उतरी थी।

तो वहीं पीड़ित परिवार ने अब गांव के पंच पटेलों पर धमकी देकर व तीन लाख रुपए देकर राजीनामा करने का दबाव बनाने का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया है।

पीड़ित के पिता ने बताया कि करौली जिला अस्पताल में भर्ती उसकी बेटी के पास आरोपियों की सहयोगी कैलाश मीणा, रत्ती मीणा, हरी मीणा, सुगन बैरवा बत्ती लाल बैरवा आदि लोग आए और पीड़िता को अस्पताल से छुट्टी दिला कर धर्मशाला ले गए और पीड़ित परिवार को जान से मारने की और उनकी जमीन जायदाद से बेदखल कर देने की धमकी देते हुए राजीनामा करने का दबाव बनाया।

पटेलों ने पीड़िता के पिता को 3 लाख रुपए देते हुए कहा कि “पुलिस हमारे साथ है, हमारा यह नहीं बिगड़ेगा। यदि तुझे तेरे परिवार की जान बचानी है तो हमारी बात मान ले”। उसके बाद पटेलों ने उन्हें परिणाम भुगतने के धमकी देकर घर छोड़ दिया।

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