नई दिल्ली: पुलिस ने एक बड़े ऑपरेशन के तहत वाहन चोरी करने वाले गुड्डू गैंग के छह सदस्यों को गिरफ्तार किया है। इस गिरोह का संचालन हाईटेक तरीकों से किया जा रहा था, जिसमें एक ऐप का इस्तेमाल किया जाता था। गैंग के सदस्यों में से एक, मोहम्मद अनस उर्फ हाजी, 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में आजाद समाज पार्टी के टिकट पर मेरठ की किठौर सीट से चुनाव लड़ चुका है। पुलिस ने इन आरोपियों के पास से कई लग्जरी गाड़ियां, चोरी के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले टूल्स, फर्जी नंबर प्लेट्स और उपकरण बरामद किए हैं।
चुनाव लड़ चुका मोहम्मद अनस गैंग का हिस्सा, लग्जरी गाड़ियां चोरी करने का नेटवर्क
गिरफ्तार किए गए अपराधियों में मोहम्मद अनस उर्फ हाजी की गिरफ्तारी सबसे ज्यादा चर्चा में है। मोहम्मद अनस ने 2022 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में आजाद समाज पार्टी के टिकट पर मेरठ की किठौर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था। अब वह वाहन चोरी के इस हाईटेक गिरोह का सदस्य निकला है। पुलिस के मुताबिक, मोहम्मद अनस वाहन चोरी के बाद गाड़ियां बेचने में अहम भूमिका निभाता था। उसके साथ पकड़े गए अन्य आरोपी पवन कुमार, फरियाद उर्फ फरी, प्रशांत कुमार, समीर और मुकीम भी इस गिरोह के सक्रिय सदस्य थे।
तकनीकी टूल्स से चुराई जा रही थीं गाड़ियां
ह गिरोह गाड़ियों की चोरी के लिए अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर रहा था। पुलिस जांच में सामने आया कि गुड्डू गैंग ने अपने नेटवर्क के सभी सदस्यों के साथ संपर्क में रहने के लिए एक विशेष ऐप बनवाया था। इस ऐप की मदद से गिरोह के सदस्य आपस में जुड़े रहते थे और गाड़ियों की चोरी से लेकर उनकी बिक्री तक की जानकारी साझा करते थे। इसके अलावा, वे सॉफ्टवेयर और मैकेनिकल टूल्स की मदद से महंगी लग्जरी गाड़ियां जैसे फॉर्च्यूनर, अर्टिगा और बलेनो चोरी करते थे। इन टूल्स की मदद से गाड़ियों का लॉक खोलना और उन्हें चोरी कर भागना आसान हो जाता था।
गाड़ियों की पहचान बदलकर दूसरे राज्यों में होती थी बिक्री
गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ में खुलासा हुआ कि चोरी की गई गाड़ियों की पहचान छिपाने के लिए उनके चेसिस नंबर को बदल दिया जाता था। चोरी के बाद गाड़ियां मोहम्मद अनस और मुकीम के जरिये गड्डू और सलीम तक पहुंचाई जाती थीं, जो इन गाड़ियों का सौदा दूसरे राज्यों में करते थे। आरोपियों ने बताया कि उन्होंने पिछले दो महीनों में दिल्ली से 25-30 गाड़ियां चोरी की थीं, जिनमें फॉर्च्यूनर और ब्रेजा जैसी महंगी गाड़ियां शामिल थीं। इन गाड़ियों के सौदे के लिए एक लाख रुपये से लेकर पचास हजार रुपये तक की कीमतें तय की गई थीं।