देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने आखिरकार चारधाम देवस्थानम बोर्ड को भंग करने का अंतिम निर्णय ले लिया है। जिसकी घोषणा आज मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आधिकारिक तौर पर की।
न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए मंगलवार को मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि पिछले दिनों देवस्थानम बोर्ड को लेकर विभिन्न प्रकार के सामाजिक संगठनों, तीर्थ पुरोहितों, पंडा समाज के लोगों और विभिन्न प्रकार के जनप्रतिनिधियों से बात की है और सभी के सुझाव आए हैं।
आगे मुख्यमंत्री ने कहा कि मनोहर कांत ध्यानी जी ने एक उच्च स्तरीय कमेटी बनाई थी। उस कमेटी ने भी अपनी रिपोर्ट दी है। जिस पर हमने विचार करते हुए निर्णय लिया है कि हम इस अधिनियम को वापस ले रहे हैं। आगे चल कर हम सभी से बात करते जो भी उत्तराखंड राज्य के हित में होगा उस पर कार्रवाई करेंगे।
कल ही मुख्यमंत्री को सौंपी गई थी रिपोर्ट
बता दें कि कल सोमवार को ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुख्यमंत्री आवास में पर्यटन एवं धर्मस्व मंत्री सतपाल महाराज ने भेंट कर उत्तराखण्ड चारधाम देवस्थानम प्रबन्धन बोर्ड के सम्बन्ध में गठित मंत्रिमण्डलीय उप समिति की रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी थी।
उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड पर पुनर्विचार हेतु मंत्रियों की उच्च स्तरीय समिति रिपोर्ट बनी थी। वहीं रिपोर्ट के विस्तारपूर्वक परीक्षण एवं अध्ययन के पश्चात, कल मुख्यमंत्री को सौंपी गई।
मंत्री सतपाल महाराज ने बताया था कि उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम के प्रावधानों के परिप्रेक्ष्य में चारों धामों के हितधारकों, पंडा, पुरोहितों और पुजारियों द्वारा समय-समय पर विरोध के मद्देनजर वर्तमान परिस्थितियों के दृष्टिगत समाधान हेतु समिति ने यह रिपोर्ट तैयार की थी।
त्रिवेंद्र सरकार ने बनाया था विवादित कानून
ज्ञात हो कि करीब दो साल पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत वाली सरकार ने मंदिरों को अपने नियंत्रण में लेने के लिए देवस्थानम बोर्ड का गठन किया था। हालांकितीर्थ पुरोहितों व पंडा समाज द्वारा इसका व्यापक विरोध किया गया। वहीं 30 नवम्बर तक इसे वापस लेने की चेतावनी भी दी गई थी।
राज्य में इसी साल विधानसभा चुनावों के बीच भाजपा सरकार ने इसपर ज्यादा देर नहीं की और लगभग सभी औपचारिकताएँ पूरी होने के बाद आज मुख्यमंत्री ने बोर्ड के भंग करने की घोषणा कर दी। हालांकि पिछले दिनों ही उन्होंने कहा था कि राज्य के हित में फैसला होगा।