अंबेडकरवादी मराठी कवि यशवंत मनोहर ने मंच पर देवी सरस्वती की प्रतिमा लगी होने के कारण पुरस्कार लेने से इनकार कर दिया।
मराठी कवि यशवंत मनोहर ने विदर्भ साहित्य संघ द्वारा दिए जा रहे हैं लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड को लेने से यह कहकर इंकार कर दिया कि उन्हें मंच पर देवी सरस्वती की प्रतिमा लगे होने से उन्हें आपत्ति है। उन्होंने साहित्य संघ के अध्यक्ष को बकायदे एक पत्र लिखकर कहा, ” देवी सरस्वती शोषण का प्रतीक है, जो महिलाओं और शूद्रों को ज्ञान अर्जित करने से रोकती हैं।”
यशवंत मनोहर जाने-माने अंबेडकरवादी हैं वे 2009 में नागपुर लोकसभा सीट से बसपा के टिकट से चुनाव भी लड़ चुके हैं।
विदर्भ साहित्य संघ अखिल भारतीय मराठी साहित्य महामंडल का ही एक घटक संगठन है। पुरस्कार समारोह का आयोजन विदर्भ साहित्य संघ के मुख्यालय रंग शारदा हाल में आयोजित किया गया था। मनोहर ने जिस में भाग नहीं लिया साथ ही माशेलकर को एक खुला पत्र भेज दिया।
विदर्भ साहित्य संघ, विदर्भ क्षेत्र का सबसे बड़ा मराठी साहित्यिक संगठन है। इसकी स्थापना 1923 में मराठी भाषा, साहित्य संस्कृति, और कला की बेहतरी के उद्देश्य से की गई थी। यह संगठन मराठी संस्कृति और कला से संबंधित साहित्यकारों को सम्मानित करता है।
तरुण भारत के संपादक लेखक और पत्रकार जीटी मालखोदकर की याद में यहां हर दूसरे वर्ष लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड दिया जाता है।
मनोहर की पत्र का सारांश कहता है कि, मैं अपने उन सिद्धांतों के विपरीत नहीं जा सकता, जिनका मैंने जीवन भर पालन किया है अगर ऐसा मैं करता हूं तो मेरा पूरा जीवन व्यर्थ हो जाएगा।
साहित्य संघ के अध्यक्ष माशेलकर ने कहा कि, संस्थान 9 दशकों से चले आ रहे अपने रिवाजों का पालन करेगा, मनोहर अपने सिद्धांतों का पालन करने के लिए मुक्त हैं, मनोहर ने पुरस्कार लेने के लिए हां किया था जिसका उनके पास लिखित प्रमाण भी है।
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