‘अपनी आंखों से मंदिर न देख पाऊँगी पर खुशी है कि भगवान का मंदिर बन रहा है’: नेत्रहीन दंपत्ति ने यूं किया दान

बारां: धर्मनगरी अयोध्या में भगवान राम के भव्य मंदिर निर्माण के लिए बीते मकर संक्रांति के पावन पर्व से देशव्यापी श्री राम मंदिर निधि समर्पण अभियान चलाया जा रहा है।

इस पवित्र अभियान के तहत संघ, विश्व हिंदू परिषद व भाजपा के कार्यकर्ता घर घर जाकर निधि एकत्रित कर रहे हैं। इस दौरान कुछ भावुक व प्रेरणादायक तस्वीरें भी देखने को मिल रही हैं। ऐसा ही कुछ नजारा राजस्थान के बारां जिले में देखने को मिला।

दरअसल बारां के पिपलोद गाँव में दिव्यांग सहरिया दम्पत्ति ने भी श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए दान किया। निधि समर्पण कर दिव्यांग सहरिया दंपत्ति की आंखें प्रसन्नता से नम हो गईं।

भावुकता से लबरेज़ दृष्टिहीन प्रकाशी ने बड़े ही मधुर स्वर में कहा कि “अपनी आंखों से मंदिर नहीं देख पाऊँगी, परन्तु मुझे बड़ी खुशी है कि मेरे भगवान का मंदिर बन रहा है।”

Baran (PC: VSK)

घर के लिए रखे पैसे किए दान:

ऐसी सी कुछ तस्वीरें राजस्थान के कोटा से भी आई। दरअसल श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण निधि समर्पण अभियान, के अंतर्गत घर घर घूमते हुए निधी संग्रह टोली कोटा, धुलेट में रामचंद्र मेहरा के घर पहुंची, जिनके मकान का निर्माण कार्य चल रहा था। रामचंद्र सीमेंट और रेत लेने के लिऐ निकल रहे थे। टोली ने सहजता से कूपन लेने का आग्रह किया तो उन्हें देखकर कुछ सकुचाऐ फिर दोनों पति पत्नी अंदर गये और वापस आए।

Kota (PC: VSK)

रेत और सीमेंट के लिऐ जेब मे रखी पांच हजार पांच सौ पचपन रूपये निकालकर टोली को सौंप दी और कहा “मकान तो कुछ दिनों बाद भी बन जाएगा, पहले राम जी का मंदिर बनने दो!” बता दें कि रामचन्द्र के पुत्र शिवराज वर्तमान में चित्तौड़ में विभाग प्रचारक हैं इसके पहले बांसवाड़ा के जिला प्रचारक रह चुके हैं।

किन्नरों ने राम मंदिर के लिए किया भावुक समर्पण:

इसी कड़ी में राजस्थान के 20 किन्नरों ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए लाखों रुपये दान में दिए हैं। इसे अपने जीवन का एक भावनात्मक क्षण कहा है क्योंकि उन्होंने सदियों पहले बनाए रखा था कि भगवान राम ने आशीर्वाद दिया था कि उनके लिए कलयुग अच्छा होगा।

मिट्टी के बर्तन बेंचकर दान किए:

ऐसी ही एक तस्वीर महाराष्ट्र के बसई में देखने मिली जहां मिट्टी के बर्तन बेचकर गरीब परिवार ने राम मंदिर के लिए निधि समर्पित कर दी। दरअसल बसई के नालासोपारा शहर के लशावीर बस्ती में मिट्टी के बने मटके बेंच कर गरीब परिवार अपना जीवन यापन करता था जब उनसे धन संग्रह टोली ने अपनी स्वेच्छा से श्री रामलला के मंदिर निर्माण हेतु राशि समर्पण करने हेतु निवेदन किया जिस पर उन्होंने तत्काल 5, 10 रुपए के सिक्के से ₹100 का समर्पण कर दिया।

बताया गया कि 100 रुपए जो दान में दिया गया उतना ही परिवार के पूरे दिन की आय थी। लेकिन परिवार ने श्री रामलला के मंदिर के लिए रसीदे कटवाई तो संग्रहकर्ताओं ने उस राम भक्त गरीब परिवार को दिल से प्रणाम किया।

दान देने के 2 घन्टे बाद वृद्धा ने त्याग दिए प्राण:

वहीं मध्य प्रदेश के विदिशा से इसी अभियान के दौरान अद्भुत संयोग वाला मामला सामने आया है। दरअसल विदिशा जिले के मंडीबामोरा क्षेत्र के अंतर्गत दतेरा गांव निवासी राकेश आचार्य की माता शांति देवी आचार्य दान देने के कुछ घण्टों बाद ही स्वर्गवासी हो गईं।

85 वर्षीय शांति देवी ने मंदिर के लिए अपनी वृद्धावस्था पेंशन में से 2100 रुपए दान करने के कुछ ही घंटे बाद प्राण त्याग दिए। सिहोरा में निर्माण निधि समर्पण अभियान के प्रमुख मृगेंद्र सिंह ने बताया कि सुबह 9:00 बजे राकेश शर्मा ने राकेश सूर्यवंशी जी से कहा कि माताजी को मंदिर के लिए दान देना है तो राकेश सूर्यवंशी ने कहा कि अभियान टोली आपके घर आएगी।

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